बैंगलुरु: इंडियन आर्मी में हर स्तर पर ऑप्टिमाइजेशन की प्रक्रिया चल रही है। यानी मैन पावर और रिसोर्स का सही और ज्यादा बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने की दिशा में काम हो रहा है। आर्मी ने एनिमल ट्रांसपोर्ट की संख्या भी कम करनी शुरू की है। आर्मी चीफ जनरल मनोज पाण्डे ने कहा है कि हमें उम्मीद है कि साल 2030 तक एनिमल ट्रांसपोर्ट घटकर 50-60 पर्सेंट तक रह जाएगा। दरअसल बॉर्डर इलाकों में आर्मी की कई ऐसी पोस्ट हैं जहां तक सामान पहुंचाने के लिए एनमिल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाता है। क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं।आर्मी चीफ ने कहा कि जैसे जैसे लॉजिस्टिक ड्रोन आ जाएंगे और रोड कनेक्टिविटी बढ़ेगी वैसे एनिमल ट्रांसपोर्ट की कम जरूरत होगी। इसे चरणबद्ध तरीके से कम कर रहे हैं। आर्मी कई तरह के ड्रोन ले रही है। इसमें लॉजिस्टिक ड्रोन से लेकर सर्विलांस ड्रोन यानी निगरानी रखने वाले ड्रोन तक शामिल हैं। आर्मी चीफ ने कहा कि कॉम्बेट एविएशन की कैपिसिटी बढ़ाने पर भी लगातार काम हो रहा है। आर्मी एविएशन के पास अभी 45 अडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) हैं। इसकी दो स्क्वॉड्रन है। 5 लाइट कॉम्बेट हेलिकॉप्टर (एलसीएच) मिलने हैं जिसमें से 3 मिल गए हैं। यह हाफ स्क्वॉड्रन है। उन्होंने कहा कि हमें वैसे करीब 95 एलसीएच चाहिए हैं। जनरल पाण्डे ने कहा कि एलसीएच ज्यादा वर्सेटाइल हैं और लाइट वेट हैं। माउंटेन एरिया के लिए यह अच्छे हैं। उन्होंने कहा कि एलसीएच में हेलीना मिसाइल लगनी है जिसके ट्रायल सफल हुए हैं। हम देखेंगे कि यह मिसाइल किस तरह एलसीएच में इंटीग्रेट होती है। इस पर काम चल रहा है।
उन्होंने बताया कि अभी हमारे पास करीब 250 चीता और चेतक हेलिकॉप्टर हैं। ये यूटिलिटी हेलिकॉप्टर हैं। जब लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (एलयूएच) मिल जाएंगे तो यह चीता और चेतक को रिप्लेस करेंगे। एलयूएच में हमने कुछ चेंज भी बताएं है उस पर एचएएल काम कर रहा है। अभी 6 एलयूएच बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम पहले 100 एलयूएच लेंगे वैसे जरूरत करीब 250 एलयूएच की है। उन्होंने कहा कि हमें चीता और चेतक को रिप्लेस करने के लिए यह चाहिए इसलिए एचएएल इस पर तेजी से काम कर रहा है और वह डिलीवरी जल्दी देंगे।