बाघों के जीवन को किसी प्रकार का खतरा न हो, इसका विशेष रूप से ध्यान रखा जाए। बाघों को भेजने का पूरा खर्च संबंधित राज्य को ही उठाना होगा और इसकी विधिवत अनुमति भारत सरकार से लेनी होगी। उल्लेखनीय है कि टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में 785 बाघ हैं।
बता दें कि जिन तीनों राज्यों को बाघ भेजे जाएंगे, वे भाजपा शासित हैं तथा ये तीनों राज्य लंबे समय से मध्य प्रदेश से बाघ मांग रहे थे। चूंकि मध्य प्रदेश में देश के सर्वाधिक बाघ हैं और यह टाइगर स्टेट है, इसलिए इनकी प्रजाति का अस्तित्व अन्य राज्यों में भी बनाए रखने के लिए इन्हें वहां भेजने की स्वीकृति दी गई है।
मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में नंदनी और बांधवगढ़ नामक दो बाघों का जोड़ा गुजरात सरकार को दिया है। बदले में मध्य प्रदेश को गिर के दो शेर मिले हैं। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल से गुजरात के इंड्रोडा नेचर पार्क को दो बाघ भेजे गए थे।
वहीं, जूनागढ़ के शक्कर बाघ जू से वन विहार राष्ट्रीय उद्यान को शेर मिले हैं। दोनों ही राज्यों में बाघ और शेर की आबादी बढ़ाने पर काम किया जाएगा।
मध्य प्रदेश लंबे समय से जंगली भैंसों को लाने के लिए प्रयासरत है। ये भैंसे असम से लाए जाने हैं और इनके बदले मध्य प्रदेश असम को बाघ देगा। यह बाघ इंदौर या ग्वालियर स्थित चिड़ियाघर से देने की तैयारी है। वहीं असम से मिलने वाले भैसों को कान्हा टाइगर रिजर्व में बसाया जाएगा। तीन जुलाई 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को जंगली भैंसे देने के लिए पत्र लिखा था।
कहा था कि कई साल पहले मध्य प्रदेश में जंगली भैंसे हुआ करते थे, लेकिन बाद में ये खत्म हो गए। बता दें कि मध्य प्रदेश में वर्ष 1979 तक जंगली भैंसे पाए जाते रहे हैं, लेकिन इसके बाद नहीं देखे गए। आखिरी भैंसा पन्ना के रैपुरा क्षेत्र के रूपझिर गांव के पास दिखाई देने की बात सामने आई।