राजपत्र में कहा गया कि अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। इसमें प्रविधान किया गया है कि यदि आबकारी विभाग को अनुसूचित क्षेत्रों में शराब की कोई नई दुकान खोलना है तो इसके लिए प्रस्ताव ग्रामसभा को देना होगा। 45 दिन के भीतर ग्रामसभा ऐसे प्रस्ताव पर विचार करेगी और यदि सर्वसम्मति से दुकान नहीं खोलने संबंधी निर्णय लिया जाता है तो फिर प्रस्तावित क्षेत्र में दुकान नहीं खुलेगी। इस तरह के प्रकरणों में विभाग कहीं और दुकान खोलने का प्रस्ताव सरकार को दे सकता है और उसी स्तर से निर्णय होगा। शराब दुकान के स्थान परिवर्तन के मामले में भी अनुमति अनिवार्य होगी।
ग्रामसभा को होंगे जुर्माने के अधिकार
ग्रामसभा को यह भी अधिकार रहेगा कि वह सार्वजनिक स्थल या किसी परिसर में
शराब के सेवन को प्रतिबंधित कर दे। इसका उल्लंघन करने पर अधिकतम एक हजार
रुपये का जुर्माना लगाया जा सकेगा। शराब रखने की मात्रा को लेकर आबकारी
नीति में जो प्रावधान हैं, उसमें कमी करने का अधिकार भी ग्रामसभा को दिया
गया है। खनन के लिए अनुमति के लिए भी ग्रामसभा की सहमति लेना अनिवार्य
होगा।
पलायन से पहले देनी होगी सूचना
ग्रामीणों को रोजगार के लिए ग्राम पंचायत क्षेत्र से बाहर जाने पर इसकी
सूचना ग्रामसभा को देनी होगी। ऐसे सभी व्यक्तियों का पूरा लेखा-जोखा रखा
जाएगा। साथ ही प्रयास यह होगा कि ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार
मिल जाए। अधिनियम में ग्रामसभा को सशक्त बनाया है। भूमि अधिग्रहण,
पुनर्वास, जमीन और सामुदायिक संसाधनों से जुड़े मामलों में निर्णय लेने के
लिए ग्रामसभा का कोरम 50 प्रतिशत रहेगा। इसमें भी एक तिहाई महिलाएं होना
अनिवार्य रखा गया है। सामान्य स्थिति में भी ग्रामसभा में निर्णय सहमति के
आधार पर लिए जाएंगे। जिन मुद्दे पर सहमति नहीं बनेगी, उन्हें अगली बैठक में
रखा जाएगा। इसमें भी सहमति नहीं बनती है तो फिर बहुमत के आधार पर निर्णय
लिया जाएगा। ग्रामसभा की अध्यक्षता अनुसूचित जनजाति वर्ग का व्यक्ति करेगा।