इसके बाद अधिकारी व कोटवारों का दल ढोल ढमाकों के साथ 40 से अधिक देवी व भैरव मंदिरों में पूजा अर्चना करने के लिए रवाना हुआ। महाअष्टमी पर नगर पूजा की परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के काल से चली आ रही है। कालांतर में भी रियासतों के समय पूजन का क्रम जारी रहा।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद शासन की ओर से नगर पूजा कराई जा रही है। इस बार तिथि मतांतर के चलते आज नगर पूजा हो रही है। सुबह कलेक्टर चौबीस खंबा माता मंदिर में देवी को मदिरा का भोग लगाकर पूजन की शुरुआत की।
इसके बाद शासकीय अधिकारी व कोटवारों का दल 40 से अधिक देवी व भैरव मंदिर में पूजन करने के लिए रवाना हो गया। पूजन के दौरान शहर में करीब 28 किलोमीटर लंबे मार्ग पर मदिरा की धार लगाई जा रही है।
इसके साथ पुरी, भजिए, भीगे हुए गेहूं व चने की घुघरी सहित नैवेद्य की अन्य वस्तुएं भी अर्पण की जा रहे हैं। मान्यता है इससे नगर में मौजूद अतृप्त आत्माओं को तृप्ति मिलती है तथा वे नगर की सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
नवरात्र की महाअष्टमी पर शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में दोपहर 12 बजे शासकीय पूजा होगी। कलेक्टर नीरजकुमार सिंह सपत्निक माता हरसिद्धि की पूजा अर्चना करेंगे। कलेक्टर द्वारा देवी को सौभाग्य सामग्री, वस्त्र, भेंट, नैवेद्य आदि अर्पित किया जाएगा। हरसिद्धि मंदिर में शाक्त पूजा होती है, इसलिए कलेक्टर अलग से आकर यहां पूजा अर्चना करते हैं।
नवरात्र की महाअष्टमी पर सिद्धपीठ गढ़कालिका माता मंदिर में रात 12 बजे महाआरती होगी। शासकीय पुजारी महंत करिश्मा नाथ ने बताया महाअष्टमी पर माता गढ़कालिका का रतलाम से मंगवाए गए शुद्ध सोने के वर्क से शृंगार किया जाएगा।
माता को अमेरिकन डायमंड से बना विशेष मुकुट धारण कराया जाएगा। रात 12 बजे ढोल ढमाकों के साथ महाआरती की जाएगी। साथ ही भव्य रंगारंग आतिशबाजी होगी। भक्त माता की महाआरती में शामिल होकर धर्मलाभ ले सकते हैं।
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने वर्ष 2024 के लिए जिले की तहसीलों में पर्वों पर स्थानीय अवकाश घोषित किए हैं। इस संबंध में पूर्व में आदेश जारी किया है। जारी आदेश के तहत 11 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी के दिन जिले की खाचरौद एवं नागदा तहसील में स्थानीय अवकाश रहेगा। इसी तरह दीपावली के दूसरे दिन एक नवंबर को उज्जैन, घट्टिया, खाचरौद, महिदपुर, बड़नगर तथा नागदा तहसील में स्थानीय अवकाश रहेगा।