विनियस: नाटो ने विनियस शिखर सम्मेलन के दौरान जापान को जोर का झटका दिया है। दरअसल, विनियस शिखर सम्मेलन के साझा घोषणा पत्र में जापान में नाटो कार्यालय की स्थापना का कोई जिक्र नहीं है। एक दिन पहले तक संभावना जताई जा रही थी कि नाटो इस सम्मेलन के दौरान जापान में कार्यालय खोलने का सार्वजनिक ऐलान कर सकता है। इसे लेकर नाटो और जापान के बीच कई स्तर की वार्ता भी हो चुकी थी। नाटो के इस कार्यालय को एशिया में उसकी मौजूदगी से जोड़कर देखा जा रहा था। माना जा रहा है कि नाटो का यह फैसला फ्रांस की आपत्ति के बाद लिया गया है।
नाटो के घोषणापत्र में क्या लिखा है
एक सूत्र ने निक्केई एशिया को बताया कि साझा घोषणा पत्र में सिर्फ इतना कहा गया है कि नाटो टोक्यो में एक संपर्क कार्यालय खोलने के लिए जापानी सरकार के साथ चर्चा जारी रखेगा। नाटो के सेक्रेटरी जनरल स्टोलटेनबर्ग ने वर्ष की शुरुआत में जापान का दौरा करते समय एक कार्यालय का विचार प्रस्तावित किया था। जापान ने भी एक नया राजदूत पद बनाकर नाटो में अपने प्रतिनिधित्व को मजबूत किया है। इसकी जिम्मेदारी बेल्जियम में तैनात जापानी राजदूत को सौंपी गई थी।
फ्रांस ने क्यों किया नाटो कार्यालय का विरोध
फ्रांस ने नाटो के जापान में कार्यालय खोलने के प्रस्ताव का जमकर विरोध किया था। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा था कि नाटो को मूल रूप से उत्तर अटलांटिक इलाके पर फोकस करने के लिए बनाया गया था और अगर इसका भौगोलिक विस्तार किया गया तो इससे गठबंधन के प्रभाव क्षेत्र के कम होने का खतरा पैदा हो जाएगा। फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा था कि हम सैद्धांतिक रूप से इसके पक्ष में नहीं हैं। जहां तक नाटो के कार्यालय की बात है, जापानी अधिकारियों ने हमसे खुद कहा है कि वे इसको लेकर बहुत ज्यादा खुश नहीं हैं।
एशिया में बाइडन का प्लान फेल
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन नाटो के विस्तार से एशिया में चीन के खिलाफ एक नया मोर्चा बनाना चाहते थे। उनकी कोशिश जापान में नाटो कार्यालय के जरिए अमेरिकी सहयोगियों, जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, भारत जैसे देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का था। फ्रांस की इस आपत्ति से बाइडन के प्लान को तगड़ा झटका लगा है। अब अमेरिका को अपने पुराने संगठन जैसे क्वाड, या द्विपक्षीय सहयोग के जरिए ही चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी करनी होगी।