भारत सरकार ने बुधवार को इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर
पांच साल के लिए बैन लगा दिया। केंद्र ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी
समूहों से ‘‘संबंध’’ रखने और देश में सांप्रदायिक नफरत फैलाने की कोशिश का
आरोप लगाते हुए PFI के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत प्रतिबंध
लगाया है। बैन लगाने के बाद से इस्लामिक संगठन को लेकर कई खुलासे हो रहे
हैं। अधिकारियों ने आज कहा कि पीएफआई ने एक कट्टरपंथी तुर्की समूह के साथ
घनिष्ठ संबंध बनाए थे। यहां तक कि पीएफआई के दो नेताओं को इसी आतंकवादी
समूह द्वारा होस्ट किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि इसी तुर्की समूह पर
सीरिया में अल-कायदा से जुड़े आतंकवादियों को हथियारों की आपूर्ति करने का
आरोप है।
फाउंडेशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड फ्रीडम एंड ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ, जिसे
आमतौर पर IHH के नाम से जाना जाता है, खुद को एक तुर्की मानवाधिकार संगठन
के रूप में प्रोजेक्ट करता है। हालांकि, जांचकर्ताओं ने पाया है कि यह
अल-कायदा से जुड़ा तुर्की धर्मार्थ समूह है, जिस पर जनवरी 2014 में सीरिया
में आतंकवादियों के लिए हथियारों की तस्करी का आरोप लगा था।
तुर्की के पूर्व वित्त मंत्री और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप
एर्दोगन के दामाद बेरात अल्बायरक के लीक ईमेल से पता चला था कि कथित तौर पर
लीबियाई समूहों को हथियार देने में IHH ने अहम भूमिका निभाई थी। IHH की
पहचान एक ऐसे संगठन के रूप में की गई है जो तुर्की की खुफिया सेवा MIT के
साथ मिलकर काम करता है। नॉर्डिक मॉनिटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएफआई की
राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य ईएम अब्दुल रहिमन और पी कोया की IHH
द्वारा इस्तांबुल में निजी तौर पर मेजबानी की गई थी।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हाल ही में अपनी एक
रिपोर्ट में दावा किया था कि पीएफआई ने युवाओं को लश्कर-ए-तैयबा, अल कायदा
और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए बरगलाया। इसमें
कहा गया है कि इस्लामी चरमपंथी संगठन ने हिंसक जिहाद के तहत आतंकवादी
कृत्यों को अंजाम दिया और भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की साजिश रची।