वॉशिंगटन: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका दौरा 21 जून से शुरू हो रहा है। इस दौरे के बाद माना जा रहा है कि भारत-अमेरिका के रिश्ते एक नए स्तर पर पहुंचेंगे। पीएम मोदी दूसरे भारतीय पीएम हैं जिनका व्हाइट हाउस में राजकीय स्वागत होगा। इसके साथ ही वह अमेरिकी कांग्रेस के ज्वॉइन्ट सेशन को संबोधित करने वाले पहले भारतीय पीएम होंगे। कई विशेषज्ञ मान रहे हैं पीएम मोदी का यह अमेरिका दौरा कई मौकों को भी आगे बढ़ाएगा। विदेश नीति के जानकार मान रहे हैं कि पीएम मोदी का यह राजकीय दौरा दो बड़े लोकतंत्रों के बीच भविष्य पर बड़ा असर डालने वाली होगी। उनकी मानें तो यह दौरा अमेरिका-भारत के रिश्तों को एक नए रास्ते पर लेकर जाएगी।
डिजिटल इकोनॉमी पर बनेगी बात!सन् 2014 के बाद से दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। डिजिटल इकोनॉमी इस समय अमेरिकी अर्थव्यवस्था का आधार है। यह डिजिटल इकोनॉमी अगले एक दशक के अंदर आगे निकलने के लिए तैयार है। यह बात भी ध्यान रखने वाली है कि अमेरिका में कई अरबपतियों ने 2002-2012 के दौरान डिजिटल क्रांति की वजह से अपनी संपत्ति में कई गुना इजाफा देखा। जिस बात की कल्पना सन् 1980 के दशक में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने की थी, उसे मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में सबसे ऊपर रखा। भारत और अमेरिका दोनों ही डिजिटल अर्थव्यवस्था और इसके महत्व को समझते हैं। मोदी सरकार ने जिस डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया था अब एक दशक के अंदर वह भारत में मल्टी-ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए एक नीतिगत ढांचा तैयार करने की तरफ बढ़ रही है।चीन के खिलाफ होगा बड़ा ऐलान!
भारत और अमेरिका दोनों के ही रास्ते में चीन एक बड़ा रोड़ा बना हुआ है। चीन को देखते हुए विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देशों के बीच सुरक्षा से जुड़ी एक पहल भी होनी चाहिए। जो यह सुनिश्चित करे कि घरेलू उत्पादन के माध्यम से या 'फ्रेंडशोरिंग' के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिले। बिजली, बिजली, स्वास्थ्य और परिवहन जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में उपकरणों को भारत के शत्रु देशों के बजाय मित्रवत स्थानों से प्राप्त करने की आवश्यकता है।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट कर चुके हैं कि दिया है कि जब तक चीन-भारत सीमा के मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता, तब तक व्यापार संबंधों को सामान्य नहीं किया जा सकता है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियां हमेशा ही भारत को नुकसान पहुंचाने वाली रही हैं। ऐसे में चीन के खिलाफ अमेरिका और भारत का साथ आना काफी महत्वपूर्ण है। दोनों देश इस समय काफी करीब है और विशेषज्ञ मान रहे हैं कि चीन को लेकर कोई बड़ा ऐलान हो सकता हे।
चीनी नेता से हो रही तुलनाकई विशेषज्ञ पीएम मोदी के इस दौरे की तुलना सन् 1979 में हुए चीनी नेता देंग जियाओपिंग के दौरे से कर रहे हैं जिसने अमेरिका-चीन के संबंधों को पूरी तरह से बदलकर रख दिया था। जियाओपिंग के अमेरिका दौरे ने पारस्परिक आदान-प्रदान और सहयोग के लिए वह दरवाजा खोल दिया, जिसने चीनी अर्थव्यवस्था को समृद्धशाली बनाने का काम किया था। यह यात्रा चीन-अमेरिका संबंध सामान्य होने के एक महीने से भी कम समय में हुई थी।पहली बार था जब कोई चीनी नेता अमेरिका का दौरा कर दिया था। इस एतिहासिक दौरे की वजह से दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल सकी थी। सीसीटीवी के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिए कि यात्रा निर्धारित समय पर हो, डेंग ने जोर देकर अमेरिका की फ्लाइट को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल विभाग की सलाह के विपरीत उड़ान भरे पर मजबूर किया था। प्रोटोकॉल विभाग ने कहा था कि खराब मौसम के स्थिति के कारण, फ्लाइट को कैंसिल कर देना चाहिए। मगर वह अमेरिका गए और यहां से कई अहम व्यापार समझौतों को आगे बढ़ाया गया।