काठमांडू: भारतीय संसद में 'अखंड भारत' का नक्शा लगाए जाने का मुद्दा नेपाल में और गरमाता जा रहा है। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में स्थित नेपाली दूतावास से कहा है कि वह भारत के विदेश मंत्रालय से अखंड भारत का नक्शा लगाए जाने पर जवाब मांगे। दरअसल, भारत की नई संसद के अंदर अशोककालीन शासन का भित्तिचित्र लगाया गया है जो अब नेपाल में भारी विवाद का विषय बन गया है। इस नक्शे में नेपाल के लुंबिनी और कपिलवस्तु को भारत का हिस्सा दिखाया गया है।इस पूरे मामले को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई और केपी ओली ने भारत के खिलाफ जहरीले बयान दिए थे और प्रचंड सरकार से जवाब मांगा था। काठमांडू पोस्ट अखबार ने नई दिल्ली में तैनात नेपाली दूतावास के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि सोमवार को प्रचंड सरकार ने निर्देश दिया है कि वह भारत के विदेश मंत्रालय से भारतीय संसद में लगाए गए भित्तिचित्र के बारे में जवाब मांगे। इससे पहले पीएम मोदी ने 28 मई को नई संसद की इमारत का उद्घाटन किया था।
भारत ने दी सफाई फिर भी मान नहीं रहे नेपाली नेता
इस नक्शे के विरोध में नेपाल के राजनीतिक दलों के साथ काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने भी जहरीला बयान दिया था। शाह ने अपने कार्यालय में ग्रेटर नेपाल का नक्शा लगावाया था जिसमें यूपी, बिहार और हिमाचल के कई इलाकों को नेपाल का दिखाया था। इस नक्शे को लेकर नेपाल के अलावा बांग्लादेश और पाकिस्तान ने भी आपत्ति जताई थी। इस नक्शे में तक्षशिला को भी दिखाया गया है जो अभी पाकिस्तान में है। इस पूरे मामले को लेकर चीन के इशारों पर नाचने वाले केपी ओली और बाबूराम भट्टाराई ने कड़ा विरोध किया था और प्रचंड सरकार से कहा था कि वह इस पूरे मामले को भारत के साथ उठाए।
उधर, नेपाल के दूतावास ने पहले ही अपनी रिपोर्ट भेज दी है कि यह भित्तिचित्र केवल अशोक साम्राज्य के सांस्कृतिक पहलू को ही दर्शाता है। इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। इसका वर्तमान समय की वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। भारत ने साफ कर दिया है कि यह अशोककालीन साम्राज्य को दर्शाने वाला सांस्कृतिक नक्शा है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी साफ कह दिया है कि यह राजनीतिक नक्शा नहीं है। इसके बाद भी नेपाल के विपक्षी दलों के दबाव में अब प्रचंड सरकार भारत से अखंड भारत पर जवाब मांगने जा रही है।