इस्लामाबाद: हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पहली राजकीय यात्रा पर अमेरिका गए थे। यहां पर उनका शाही स्वागत हुआ और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनके साथ द्विपक्षीय वार्ता भी की। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच प्रीडेटर ड्रोन से लेकर तेजस लाइट काम्बेट जेट के लिए जरूरी जीई इंजन तक की डील हुई। पहली बार अमेरिका ने भारत के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को ध्यान में रखते हुए रक्षा सौदों को आगे बढ़ाया। अब पाकिस्तान को इस पर मिर्ची लग रही है और इस बात से कोई हैरान नहीं है। हैरानी इस बात पर है कि उसने अमेरिका और भारत का मुकाबला कैसे किया जाए, इसके तरीकों को तलाशना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच होने वाले ये रक्षा सौदे और आपसी सहयोग उसकी सुरक्षा के लिए खतरा हैं।पाकिस्तान ने भेजा व्हाइट हाउस को मैसेजआधिकारिक सूत्रों के हवाले से अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि अमेरिका को राजनयिक चैनलों के जरिए बता दिया गया है कि पाकिस्तान की चिंताओं को भी ध्यान में रखा जाए। उसका कहना है कि अगर इन चिंताओं को नजरअंदाज करके भारत को एडवांस्ड मिलिट्री हार्डवेयर टेक्नोलॉजी मिली तो इससे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में रणनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी और पारंपरिक संतुलन कमजोर होगा। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर से भारत खुद को ताकतवर महसूस करेगा। इससे उसके राष्ट्रीय सुरक्षा हित खतरे में पड़ जाएंगे। इसके अलावा पाकिस्तान ने अमेरिका को यह भी बता दिया है कि भारत के साथ ऐसा सहयोग जो उसके हितों को नुकसान पहुंचाता है, उसके बाद पाकिस्तान के पास जवाबी कदम उठाने का पूरा अधिकार है।
अमेरिका आगे, रूस पीछे
पीएम मोदी की राजकीय यात्रा कुछ महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए हैं। इन फैसलों में जनरल इलेक्ट्रिक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच तेजस के लिए एडवांस्ड जेट इंजन भारत में बनाने का फैसला भी शामिल है। इसके साथ ही अमेरिका प्रीडेटर ड्रोन को बनाने के लिए भारत में केंद्र स्थापित करने पर भी सहमत हुआ। अभी तक सिर्फ रूस हर भारत को हथियारों का बड़ा सप्लायर था। दशकों तक रूस 65 फीसदी हिस्सेदारी के साथ भारत को हथियारों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बना रहा। पाकिस्तान के मुताबिक यह घटकर अब 45 फीसदी हो गया है जबकि अमेरिकी हिस्सेदारी एक फीसदी से बढ़कर 11 फीसदी हो गई है।
पाकिस्तान में खतरे की घंटी
पाकिस्तान की सरकार के अनुसार पीएम मोदी की यात्रा के दौरान लिया गया दूसरा बड़ा निर्णय यह था कि अमेरिकी मेमोरी चिप की दिग्गज कंपनी, माइक्रोन टेक्नोलॉजी, भारत में सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग फैसिलिटी बनाने के लिए 825 मिलियन डॉलर तक का निवेश करेगी। इससे जिससे हजारों नौकरियां पैदा होंगी। पाक मीडिया के मुताबिक इससे साफ है कि अमेरिका न सिर्फ भारत को हथियार बेचना चाहता है बल्कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के खिलाफ भी नहीं है। टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की वजह से पाकिस्तान में ही खतरे की घंटी बजा चुकी है।