स्ट्रॉबेरी की खेती से जनजातीय किसानों के जीवन में आई मिठास

Updated on 11-12-2024 06:11 PM

जिले के जनजातीय बहुल क्षेत्र में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती का प्रयोग शुरू हुआ। परम्परागत रूप से ज्वार, मक्का और अन्य सामान्य फसलों के लिए जाने जाने वाले इस इलाके में अब किसानों ने उद्यानिकी फसलों की ओर रुख किया है। जिले के रामा ब्लॉक के तीन गांवों भुराडाबरा, पालेड़ी और भंवरपिपलिया में आठ किसानों के खेतों में स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए गए।

झाबुआ में, स्ट्रॉबेरी सामान्यतः ठंडे इलाकों की फसल है, को यहां अनुकूलित परिस्थितियों में उगाने का प्रयोग किया गया। महाराष्ट्र के सतारा जिले से 5000 पौधे मंगवाकर हर किसान के खेत में 500 से 1000 पौधे लगाए गए। हर पौधे की कीमत मात्र 7 रुपये थी, लेकिन इसे उगाने की प्रक्रिया ने किसानों को बागवानी की उन्नत और आधुनिक तकनीकों से रूबरू कराया।

रोटला गांव के रमेश परमार ने अपने खेत में ड्रिप और मल्चिंग तकनीक का उपयोग कर 1000 स्ट्रॉबेरी पौधे लगाए। वे बताते हैं कि "पहले बाजार में इन फलों को देखा था, लेकिन खरीदने की हिम्मत कभी नहीं हुई। अब जब खुद के खेत में उगाए, तो इसका स्वाद भी चखा और इसकी उच्च कीमत का महत्व भी समझा।"

रमेश ने 8 अक्टूबर 24 को पौधों की बुवाई की थी और केवल तीन महीनों में फलों की पैदावार शुरू हो गई। वर्तमान में बाजार में स्ट्रॉबेरी की कीमत 300 रुपये प्रति किलो है। फिलहाल उन्होंने अपनी पहली फसल घर के सदस्यों और रिश्तेदारों के साथ बांटी है।

समूह की सफलता

रमेश अकेले नहीं हैं। उनके साथ अन्य किसान भंवरपिपलिया के लक्ष्मण, भुराडाबरा के दीवान, और पालेड़ी के हरिराम ने भी अपनी जमीन पर स्ट्रॉबेरी उगाई है। सभी किसानों के पौधों में फल लगने शुरू हो गए हैं। ये किसान अपनी उपज को लोकल हाट-बाजार और हाईवे के किनारे बेचने की योजना बना रहे हैं।

नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रतीक

झाबुआ जिले की यह पहल न केवल कृषि नवाचार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक ठोस कदम भी है। यह झाबुआ जिले के जनजातीय किसानों ने साबित किया है कि सही मार्गदर्शन, तकनीक और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में अपार संभावनाएं पैदा की जा सकती हैं।

आर्थिक और सामाजिक बदलाव की ओर बढ़ रहे जनजातीय किसान

स्ट्रॉबेरी की खेती से न केवल इन किसानों की आमदनी बढ़ने की उम्मीद है, बल्कि यह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनेगी। यह पहल झाबुआ जिले के लिए उद्यानिकी खेती का एक नया अध्याय खोलेगी। झाबुआ के जनजातीय किसान सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े बदलाव की ओर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।


अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 23 December 2024
भोपाल में आईएएस सर्विस मीट के तीसरे और अंतिम दिन भी अफसर पत्नी और बच्चों के साथ दिनभर मस्ती करते दिखे। रविवार को सुबह साइकिलिंग में दमखम दिखाया। इसके बाद…
 23 December 2024
भोपाल के गौरीशंकर परिसर कॉलोनी में रविवार को बड़े-बच्चे सड़क पर उतरे। हाथों में तख्तियां लेकर उन्होंने थाली बजाई और निगम के जिम्मेदारों को नींद से जगाया। उनका कहना था…
 23 December 2024
भोपाल में एक महिला की एंबुलेंस में डिलीवरी का एक मामला सामने आया है। रविवार सुबह करीब दस बजे 26 वर्षीय धन बाई को प्रसव पीड़ा हुई। जिसके बाद एम्बुलेंस…
 23 December 2024
भोपाल के मंगलवारा की कुम्हार गली में सुपारी का होलसेल कारोबार करने वाले मुलायमचंद जैन (65) की दुकान पर रविवार की रात नकाबपोश बदमाश पहुंच गया। उसने बुजुर्ग कारोबारी से…
 23 December 2024
नगर ​निगम भोपाल में ड्राइवरों के डीजल चोरी करने की बात कई बार सामने आई। इसमें सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर ही कार्रवाई होती है। लेकिन दैनिक भास्कर के डीबी स्टार…
 23 December 2024
बिलखिरिया में ट्रक से गायब हुई 10 लाख की मैगी बैरागढ़ के एक व्यापारी के गोदाम में मिली है। रविवार रात पुलिस की टीमों ने व्यापारी के तीन ठिकानों पर…
 23 December 2024
मध्यप्रदेश में बीजेपी के संगठन चुनाव चल रहे हैं। 1 से 15 दिसंबर तक 1300 मंडलों में अध्यक्ष और जिला प्रतिनिधि चुने जाने थे। बीजेपी के संगठनात्मक रूप से मध्यप्रदेश…
 23 December 2024
भोपाल और आसपास के इलाकों में चलती ट्रेनों से यात्रियों के सामान की झपटमारी की घटनाएं बढ़ रही है। ये झपटमार ट्रेन की गति धीमी होने पर दरवाजे पर रखा…
 23 December 2024
वर्ग 1 (2023) के वेटिंग शिक्षकों का प्रदर्शन आज भोपाल के हबीबगंज इलाके में किया जाएगा। शिक्षकों के अनुसार, भोपाल में वर्ग 1 (2023) भर्ती की दूसरी काउंसलिंग में 20…
Advt.