आतंकियों संभल जाओ, भारत-पाक बॉर्डर पर सुरंग की तलाश करेंगे रेडार वाले ड्रोन, घुसपैठ की कोशिश को यूं करेंगे फेल

Updated on 09-01-2023 06:25 PM
नई दिल्ली/जम्मू: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने जम्मू क्षेत्र में भारत-पाकिस्तान इंटनैशनल बॉर्डर पर आतंकवादियों के लिए घुसपैठ में इस्तेमाल की जाने वाली सुरंगों की मौजूदगी का पता लगाने को लेकर पहली बार रडार लगे ड्रोन तैनात किए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सुरक्षा बल की ओर से सुरंग का पता लगाने के अभ्यास के तहत हाल में इस मोर्चे पर देश में ही तैयार तकनीकी उपकरण का इस्तेमाल किया गया है। इसका मकसद यह निश्चित करना है कि कोई भी आतंकवादी भारतीय क्षेत्र में घुसने और जम्मू-कश्मीर या देश के किसी अन्य जगह पर हमले करने में सक्षम नहीं हो। इन सुरंगों का इस्तेमाल नशीले पदार्थों, हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी के लिए भी किया जाता रहा है।
192 किलोमीटर में कम से कम 5 सुरंगों का लगा पता
बीएसएफ ने पिछले तीन वर्षों में जम्मू मोर्चे (भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा) के लगभग 192 किमी में कम से कम पांच सुरंगों का पता लगाया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दो ऐसी सीमा-पार सुरंगों का पता 2020 और 2021 में लगाया गया था, जबकि एक पिछले साल मिली थी और ये सभी जम्मू के इंद्रेश्वर नगर सेक्टर में पाई गई थीं। बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा, 'बीएसएफ ने भारत-पाकिस्तान इंटनैशनल बॉर्डर के जम्मू क्षेत्र में सुरंगों का आए दिन पता चलने के मद्देनजर खतरे का मुकाबला करने के लिए एक स्मार्ट तकनीकी उपकरण खरीदा है।पाकिस्तान से भारत में घुसपैठ करने के लिए आतंकवादियों की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली इन गुप्त संरचनाओं की जांच के लिए क्षेत्र में एक से अधिक रडार युक्त ड्रोन तैनात किए गए हैं।'
कैसे काम करते हैं ये ड्रोन
क्षेत्र में कार्यरत अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में तैनात किए जा रहे रडार एक भारतीय मैन्युफैक्चरर ने विकसित किए हैं और ये सुरंगों की मौजूदगी का पता लगाने तथा उनकी लंबाई को मापने के लिए मजबूत रेडियो तरंगों का यूज करते हैं। अधिकारियों ने कहा कि रडार के विशिष्ट विवरण का खुलासा नहीं किया जा सकता है, लेकिन नए उपकरण से सुरंग का पता लगाने में सैनिकों को काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसके असर का अभी अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मोर्चे पर ऐसे इलाकों तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के लिए ड्रोन पर रडार लगाए गए हैं, जहां तक जमीनी टीम का पहुंचना मुश्किल है। आमतौर पर छिपी सुरंगों की निगरानी सीमा बाड़ से लगभग 400 मीटर दूर तक की जाती है।

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