मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बाधा को तोड़ दिया। केवल अंग्रेजी की पढ़ाई ही नहीं, उच्च गुणवत्ता के साथ अंग्रेजी की पढ़ाई। अंग्रेजी की पढ़ाई केवल रायपुर जैसे महानगर में न हो बल्कि ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में भी हो। गांव का बच्चा क्यों अंग्रेजी शिक्षा से वंचित रहे, इसका दायरा गांव तक फैल गया। लाइब्रेरी की सुविधा नामी-गिरामी निजी स्कूल तक ही सीमित क्यों रहे, सर्वसुविधायुक्त लाइब्रेरी हमारे हर आत्मानंद स्कूल में भी है। यही नहीं आत्मानंद स्कूल में सुंदर खेल परिसर हैं, जहां से नामचीन खिलाड़ी भी निकल सकते हैं। आधुनिक सुविधाओं वाले प्रैक्टिकल लैब हैं, जहां इस पीढ़ी के सीवी रमन तैयार होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हमेशा कहते हैं कि प्रतिभा तो है संसाधन नहीं दोगे तो यह कैसे उभरेगी। मुख्यमंत्री ने स्कूलों को संसाधनों से समृद्ध किया है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि हमारी पीढ़ी अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हमारी संस्कृति से भी जुड़ी रहे इसलिए अंग्रेजी माध्यम के साथ-साथ हिंदी माध्यम के आत्मानंद स्कूल भी खोले जा रहे हैं। साथ ही स्थानीय बोलियों को पाठ्यक्रम से जोड़ा गया है, इससे हमें अपनी संस्कृति, परम्पराओं और स्थानीयता पर भी गर्व होगा और अपने ग्लोबल पहचान के प्रति भी हम जागरूक होंगे।
प्रदेश में स्वामी आत्मानंद स्कूल की शुरूआत सबसे पहले 03 जुलाई 2020 को हुई। इसी वर्ष अलग-अलग शहरों में 52 स्कूल खोले गए। उस समय यहां प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम थी। फिर भी प्रथम वर्ष में आवेदन की संख्या 20 हजार से अधिक थी। धीरे-धीरे स्कूल की गुणवत्ता की चर्चा होने के साथ यहां आवेदन की संख्या बढ़ती गई। वर्ष 2022-23 में दो लाख 76 हजार से अधिक आवेदन मिले हैं। परिस्थितियों को देखते हुए स्कूलों की संख्या भी बढ़ाई गई। इस समय प्रदेश में 279 स्कूल संचालित हैं, जिसमें अंग्रेजी माध्यम के 247 और हिन्दी माध्यम के 32 स्कूल हैं। यही नहीं आने वाले शैक्षणिक सत्र में 439 हिन्दी माध्यम के स्वामी आत्मानंद स्कूल खोलने की योजना है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा थी कि छत्तीसगढ़ में ऐसे शिक्षण संस्थान हो जहां निजी स्कूल जैसी उत्कृष्ट सुविधाएं हो, वहां मध्यम और निर्धन वर्ग के पालक अपने बच्चों को पढ़ा सकें। इसे मूर्त रूप देने पुराने सरकारी स्कूलों को ही चिन्हित किया गया। इन स्कूलों में सबसे पहले आधारभूत संरचना को मजबूत किया गया। पुरानी बिल्डिंग का पुनरूद्धार किया गया। क्लास रूम को नया रूप प्रदान किया गया जहां पर कभी पुराने ब्लैक बोर्ड थे, वहां पर ग्रीन बोर्ड लगाए गए, कुछ जगह स्मार्ट बोर्ड ने जगह ले ली। पुराने बैंच-टेबल की जगह नए कम्फर्ट बैच-डैस्क की व्यवस्था की गई। साइंस के आधुनिक साज-सामानों के साथ नये प्रैक्टिकल लैब बनाए गए। एक्स्ट्रा कैरिकुलम एक्टिविटी को बढ़ावा दिया गया।