इंदौर के मानसिक दिव्यांग युग पुरुष धाम से लगातार संक्रमित बच्चे सामने आ रहे हैं। बुधवार सुबह भी आश्रम से 10 बच्चों को चाचा नेहरु अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल 44 बच्चों को का उपचार किया जा रहा है। इनमें से 6 बच्चे आईसीयू में भर्ती हैं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने इसकी पुष्टक की है।
अब तक आश्रम के 5 बच्चों की मौत हुई है। बच्चों की मौत के मामले में प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है। 30 जून को हुई पहली मौत की वजह संस्था ने मिर्गी को मान लिया और प्रशासन को सूचना नहीं दी। जिसके बाद 24 घंटों में एक के बाद एक 2 मौतें हो गईं। इन मौत की जानकारी छिपाने का खामियाजा यह निकला कि 48 घंटे के अंदर ही दो बच्चों की और जान चली गई।
कलेक्टर आशीष सिंह ने भी इस बात को माना कि अगर संस्था पहले बच्चे की मौत के बाद ही जानकारी दी जाती तो इतने गंभीर हालात नहीं बनते।
हालत बिगड़ने पर अस्पताल भेजा, आश्रम में ही दो की मौत
मंगलवार सुबह करीब 7 बजे 12 बच्चों को अस्पताल भेजा गया। दोपहर करीब 12 बजे तक हॉस्टल संचालिका अनिता शर्मा और एसडीएम बड़कुल बच्चों की स्थिति ठीक बताते रहे। आश्रम में बच्चों के सैंपल लिए जाने की बात कही। करीब 2 बजे हालत गंभीर होने पर 17 बच्चों को अस्पताल भेजना शुरू किया गया।
छोटा गोविंद और रानी हिमानी ने आश्रम परिसर में ही दम तोड़ दिया। छोटा गोविंद को अस्पताल भेजा गया, यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं, रानी हिमानी ने आश्रम में चेकअप के दौरान ही दम तोड़ दिया। इसके बाद देर रात को आश्रम में पांच और बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर भर्ती कराया गया। 34 बच्चों का अस्पताल में इलाज जारी है। चाचा नेहरू अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि सभी बच्चों की हालत ठीक है।
इन पांच बच्चों की मौत हुई है- शुभम उर्फ करण, आकाश, शुभ, रानी हिमानी और छोटा गोविंद। रविवार को शुभम उर्फ करण ने दम तोड़ा, उसे फिट की बीमारी थी। सोमवार देर रात आकाश और मंगलवार सुबह शुभ की मौत हो गई। इन सभी की उम्र 5 से 13 साल के बीच है।
एम्बुलेंस संचालक बोला- सुबह मिली थी सूचना
एंबुलेंस संचालक पंकज नामदेव ने कहा, सुबह करीब साढ़े 6 बजे अनिता शर्मा मैडम से सूचना मिली कि युगपुरुष धाम में कई बच्चे बीमार हैं, उन्हें चाचा नेहरू अस्पताल लेकर जाना है। पौने 7 बजे गाड़ी लेकर पहुंचा और 12 बच्चों को अस्पताल लेकर गए। इसके बाद पूरा दिन 4-5 बार आश्रम से बच्चों को अस्पताल पहुंचाया।
जानकारी के अनुसार आश्रम में केयर टेकर और नर्स की संख्या भी बच्चों के हिसाब से कम है। बीमार बच्चों को एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए आश्रम के ही बच्चों का सहरा लेना पड़ा।
केयर टेकर बोले- बच्चे और हमने एक ही खाना खाया
सभी ने सिर्फ यही कहा कि सब सभी ठीक था, न जाने अचानक क्या हुआ। बच्चों ने जो खाया, हमने भी वही खाना खाया था। मौसम भी बदल गया है। बच्चों को पानी की कमी हुई होगी। आश्रम में 50-60 बच्चों को 2 महिला केयर टेकर संभालती नजर आईं।
चार हॉल और सात कमरों में 200 से ज्यादा बच्चे
संस्था में ग्राउंड फ्लोर पर सात कमरे, ऊपर चार हॉल, मेस आदि हैं। इनमें 200 से ज्यादा बच्चे हैं। यहां टीचर, नौकर, वार्ड बाय आदि मिलाकर करीब 50 लोगों का स्टाफ है। यहां डॉक्टर की कोई पोस्ट नहीं है। स्टाफ का कहना है कि हफ्ते में दो बार डॉक्टर को चेकअप के लिए बुला लिया जाता है। उधर, चाचा नेहरू अस्पताल में कुछ बच्चों ने स्टाफ को बताया कि संस्था में जगह नहीं होने से एक-एक पलंग पर दो-दो बच्चों को सुलाया जाता है। सुबह रोटी-दाल, सब्जी और शाम को खिचड़ी दी जाती है। खाद्यान्न और सब्जियां राजमोहल्ला क्षेत्र से आती है। यहां पानी बोरिंग से आता है।
पानी- आश्रम में बच्चों के पीने का पानी बोरिंग के माध्यम से टंकी तक पहुंचता है। टंकी से प्यूरीफाइड होने के बाद पानी बच्चों को पीने के लिए दिया जाता था। पूरी घटना के बाद टंकी और प्यूरीफायर दोनों के पानी का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है।
भोजन- बच्चों के लिए भोजन आश्रम में ही तैयार किया जाता है। घटना के बाद आज रात में बच्चों को बाहर से बुलाई गई खिचड़ी खाने में दी गई। वहीं सुबह शाम के नाश्ते के अलावा दोपहर और रात का भोजन तय मात्रा में तैयार कर दिया जाता है। सुबह शाम के नाश्ते में हलवा, पोहा, दलिया पूड़ी शामिल होता है वहीं खाने में 1 कटोरी दाल, चावल, खिचड़ी 3 रोटी सहित सब्जियां शामिल होती है। बता दें कि आज दोपहर तक का खाना बच्चों को आश्रम की रसोई से ही खिलाया गया था। भोजन के लिए राशन और सब्जियां तय जगह से आश्रम में पहुंचाई जाती है।
साफ-सफाई- आश्रम में अधिकांश जगह साफ सफाई की व्यवस्था ठीक है लेकिन कुछ जगह पर मख्खियां और बदबू की समस्या पर आश्रम संचालिका ने कहा कि चूंकी बच्चे मानसिक रूप से ठीक नहीं है वो अपनी समस्या बता नहीं पाते लेकिन केयर टेकर इसका पूरा घ्यान रखती हैं।
फूड पॉयजनिंग की आशंका क्यों- शुरुआती दो बच्चों की मौत को संस्था मिर्गी के कारण मौत बताता रहा लेकिन उसके बाद करीब 31 बच्चों को गंभीर हालत में अस्पताल में एडमिट कराने के साथ 3 और मौत फूड पॉयजनिंग होने की संभावना व्यक्त करती है।
आश्रम ने क्या दी सफाई-
आश्रम संचालिका डॉ. अनिता शर्मा का कहना है कि बच्चे दो दिन पहले तक पूरी तरह स्वस्थ थे। मैं खुद पूरे समय यहां मौजूद रही। जो बच्चों ने खाना खाया वहीं पूरे स्टॉप ने खाया। फूड पॉयजनिंग की आशंका नहीं कह सकते। बाकी जांच में सामने आएगा।
शार्ट PM रिपोर्ट आई, विसरा का इंतजार करना होगा
चारों बच्चों के पोस्ट मार्टम की शार्ट PM रिपोर्ट मंगलवार शाम को आ गई है। इसमें साफ नहीं हुआ है कि मौत की वजह क्या है? प्रशासन इसे प्राथमिक तौर पर फूड पॉइजनिंग ही मान रहा है। अब विस्तृत जांच के लिए विसरा भेजा गया है।
आश्रम के पानी और भोजन पर रोक
चार बच्चों की मौत में फूड पॉइजनिंग की आशंका के बाद अब आश्रम के खाने और पानी की मनाही कर दी गई है। अब शेष करीब 180 बच्चों को पानी और खाने की जांच रिपोर्ट आने तक यहां का खाना नहीं दिया जाएगा। पानी-भोजन की डिलीवरी बाहर से ही कराई जाएगी।
5 से लेकर 18 साल तक के बच्चे बीमार
जो बच्चे बीमार हैं, उनकी उम्र 5 से लेकर 18 साल तक की है। इनमें सबसे ज्यादा 12 से 18 के बीच के हैं। जांच अधिकारी ने बताया कि जिन बच्चों के हाथ-पैर में ठंडक मिली है या फिर बुखार या घबराहट के हल्के लक्षण महसूस हो रहे हैं, हम उन्हें अपने स्तर पर ट्रेक करके अस्पताल भिजवाने के निर्देश हैं।
निलंबित SDM बड़कुल की सफाई- काम खत्म हो चुका था..
घटनास्थल के पास हंसी-ठिठौली करते दिखाई दिए निलंबित एसडीएम ओमनारायण बड़कुल ने सफाई में कहा है कि “दूसरी जगह का वीडियो है। वहां हम सब अधिकारी खड़े थे। विधिवत डिस्पोज करवाकर, मेडिकल चेकअप करवा दिया था। हम सब अधिकारी चर्चा कर रहे थे और कुछ नहीं है। प्रशासनिक बातचीत कर रहे थे और कुछ नहीं था।”
बता दें कि जिस वक्त SDM बड़कुल का ठहाके लगाने वाला VIDEO वायरल हुआ था। उसके बाद 2 और बच्चों की मौतें हुईं। 10 से ज्यादा बच्चे और भर्ती कराना पड़े। रात तक यह संख्या और बढ़ सकती है। जबकि बड़कुल काम दोपहर में ही पूरा होना बता रहे थे।
सवालों को टालते रहे आश्रम-अस्पताल के जिम्मेदार
पंचकुईया रोड पर परमानंद हॉस्पिटल परिसर में ही छोटी बिल्डिंग में ‘युग पुरुष आश्रम का संचालन होता है। नजदीकी लोगों के मुताबिक कुछ साल पहले यह जमीन किसी महिला ने दान में दी थी। इसके बाद परमानंद गिरी महाराज द्वारा यहां हॉस्पिटल खोलने के लिए जिम्मेदारी तुलसी शादीजा (इंदौर) को दी। 2002 में यहां परमानंद हॉस्पिटल शुरू किया।
परिसर में लगे पोस्टर में अध्यक्ष पवन ठाकुर और संचालक जीडी नागर का फोटो है।उन्होंने बताया कि सेहत ठीक नहीं होने से मैंने डेढ़ साल पहले से ही हॉस्पिटल जाना बंद कर दिया है। ‘युग पुरुष’ संस्था की अध्यक्ष अनिता शर्मा और सचिव तुलसी शादीजा है।
संस्था द्वारा यहां 2006 से संचालन किया जा रहा है। संस्था को सरकार से अनुदान भी मिलता है। शादीजा और उनके परिवार के लोग अस्पताल का संचालन करते है। घटना को लेकर ‘युग पुरुष’ के सचिव तुलसी शादीजा का कहना है कि मुझे कोई जानकारी नहीं है। बेहतर है कि आप अध्यक्ष अनीता शर्मा से बात करें।