कोरोना वायरस महामारी के खात्मे को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के
महानिदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस का बड़ा बयान सामने आया है।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने गुरुवार को यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली (UNGA) को
बताया कि महामारी खत्म नहीं हुई है लेकिन इसका अंत दिखाई दे रहा है।
दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों में और इससे होने वाली मौतों में बड़ी
गिरावट देखने को मिली है। जिसके बाद से यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या
महामारी अब अपने आखिरी दौर में तो नहीं है।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा कि महामारी के अंत का मतलब यह नहीं कि हम इसके आखिरी दौर में हैं। हां, हम पहले से कहीं बेहतर स्थिति में हैं। दुनियाभर में साप्ताहिक मौतों की संख्या में गिरावट देखने को मिली है। जनवरी 2021 की तुलना में फिलहाल हम 10 फीसदी के आंकड़े पर हैं। दुनिया की दो तिहाई आबादी का टीकाकरण कर दिया गया है। जिसमें तीन चौथाई स्वास्थ्य कार्यकर्ता और बुजुर्ग लोग शामिल हैं।
एक हफ्ते में 10 हजार मौतें बहुत ज्यादा आंकड़ा
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, दुनिया के अधिकांश देशों में लागू
कोरोना प्रतिबंध समाप्त कर दिए गए हैं और जीवन फिर से महामारी के पहले जैसा
दिखने लगा है। उन्होंने पुरानी मौत का जिक्र करते हुए कहा कि एक हफ्ते में
10 हजार मौतें बहुत ज्यादा हैं, इनमें से ज्यादातर मौतों को रोका जा सकता
था। उन्होंने कहा कि अभी भी किसी-किसी देश में टीकाकरण में लंबा गैप है,
विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में।
अंधेरी सुरग में प्रकाश की झलक दिखने लगी है
उन्होंने आगे कहा, हमने ढाई साल का एक लंबा समय अंधेरी सुरंग में बिताया है और अब हमें उस सुरंग में प्रकाश की एक झलक दिखने लगी है। लेकिन अभी भी हमें एक लंबा सफर तय करना है और सुरंग में अभी अंधेरा है। कई बाधाएं हैं जिसपर हमने ध्यान नहीं दिया तो वो हमें परेशान कर सकती हैं। हम सभी को उम्मीद है कि हम यह कर सकेंगे और करेंगे। सुंरग के अंत तक पहुंचे महामारी को पीछे छोड़ देंगे। हमें आगे के रास्ते पर ध्यान केंद्रित करके और उद्देश्य और देखभाल के साथ महामारी के अंत तक पहुंचना है।
जब तक सभी सुरक्षित नहीं तब तक कोई सुरक्षित नहीं
उन्होंने कहा कि महामारी का आलम यह रहा है कि जब तक सभी सुरक्षित नहीं हैं तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है। इसका मतलब है कि हर किसी को जरूरत पड़ने पर सुरक्षित रहने के लिए दूरी, मास्क और वेंटिलेशन का उपयोग करने की आवश्यकता है। इसका मतलब है कि सभी लोगों तक सुरक्षा उपकरणों की पहुंच जरूरी है। उन्होंने कहा कि अभी भी कम आय वाले देशों में पूरी आबादी की तुलना में मात्र 19 फीसदी को ही टीके लग पाए हैं।