रॉयटर्स के रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस साल अपने दक्षिणी पड़ोसी देश का सबसे बड़ा सहायता प्रदाता रहा है. श्रीलंका अपने सात दशकों से अधिक समय में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, आयात के लिए भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहा है. आईएमएफ द्वारा मदद मिलने पर अब स्थिति मई और जुलाई के बीच की तुलना में कम गंभीर है, इसलिए भारत अब श्रीलंका को वित्तीय सहायता नहीं देगा.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत पहले ही श्रीलंका को संकट से निपटने के लिए 3.8 अरब डॉलर की सहायता दे चुका है. IMF के बेलआउट पैकेज के बाद भारत सहायता देना जारी नहीं रख सकता. श्रीलंकाई सरकार के एक सूत्र के मुताबिक भारत का निर्णय कोई आश्चर्य की बात नहीं है और नई दिल्ली ने कुछ महीने पहले उन्हें संकेत दिया था कि आगे बड़े पैमाने पर समर्थन मिलने वाला है. हालांकि, सूत्र ने कहा कि भारत को एक सम्मेलन में आमंत्रित किया जाएगा जिसे श्रीलंका इस साल के अंत में जापान, चीन और संभवतः दक्षिण कोरिया के साथ आयोजित करने की योजना बना रहा है.
श्रीलंका और आईएमएफ ने सितंबर की शुरुआत में लगभग 2.9 बिलियन डॉलर के ऋण के लिए एक प्रारंभिक समझौता किया, जो देश पर आधिकारिक लेनदारों से वित्तीय आश्वासन प्राप्त करने और निजी लेनदारों के साथ बातचीत पर निर्भर है. श्रीलंका आईएमएफ कार्यक्रम को आगे बढ़ाने और खुद को इस झंझट से बाहर निकालने पर अधिक जोर दे रहा है.
आपको बता दें कि 22 मिलियन लोगों का यह देश ईंधन, भोजन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी से जूझ रहा है. श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड गिरावट, ठप आयात और राजनीतिक अस्थिरता होने बाद पूरा देश कंगाल हो गया है जिसके बाद गुस्साए लोगों ने संसद और राष्ट्रपति भवन में घुसकर अपना आंदोलन किया.