नए केस पर तो पहले से रोक, अब राजद्रोह कानून ही होगा खत्म? संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट करने जा रहा सुनवाई

Updated on 09-01-2023 06:33 PM
नई दिल्ली : राजद्रोह कानून पर रोक लगाने के करीब 7 महीने बाद, सुप्रीम कोर्ट औपनिवेशिक काल के दंडात्मक कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार यानी आज सुनवाई करने वाला है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 11 मई को एक अभूतपूर्व आदेश के तहत देशभर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर तबतक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कोई ‘उचित’ सरकारी मंच इसकी समीक्षा नहीं कर लेता। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को आजादी के पहले के इस कानून के तहत कोई नया केस दर्ज नहीं करने के निर्देश भी दिए थे।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कानून के खिलाफ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की तरफ से दायर याचिका सहित 12 याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह) के तहत अधिकतम सजा उम्रकैद का प्रावधान है। इसे देश की स्वतंत्रता के 57 साल पहले और आईपीसी बनने के लगभग 30 साल बाद, 1890 में दंड संहिता में शामिल किया गया था। आजादी से पहले के कालखंड में बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ प्रावधान का इस्तेमाल किया गया।

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण के नेतृत्व वाली पीठ ने आदेश दिया था कि प्राथमिकी दर्ज कराने के अलावा, देशभर में राजद्रोह संबंधी कानून के तहत चल रही जांचों, लंबित मुकदमों और सभी कार्यवाहियों पर भी रोक रहेगी। पीठ ने कहा था, ‘आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) की कठोरता मौजूदा सामाजिक परिवेश के अनुरूप नहीं है’। बेंच ने कहा था, ‘हम अपेक्षा करते हैं कि इस प्रावधान का पुन: परीक्षण पूरा होने तक सरकारों द्वारा कानून के उक्त प्रावधान का उपयोग जारी नहीं रखना उचित होगा।’
शीर्ष अदालत ने कहा था कि किसी प्रभावित पक्ष को संबंधित अदालतों में जाने की स्वतंत्रता है और अदालतों से अनुरोध है कि मौजूदा आदेश पर विचार करते हुए राहत की अर्जियों पर विचार करें। कोर्ट ने कहा था, ‘आईपीसी की धारा 124ए के तहत तय आरोपों के संबंध में सभी लंबित मुकदमों, अपीलों और कार्यवाहियों पर रोक रहेगी। अन्य धाराओं के संबंध में निर्णय लिया जा सकता है, यदि अदालतों की राय है कि आरोपी के साथ पक्षपात नहीं होगा।’

पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी को राजद्रोह के आरोप में दर्ज प्राथमिकियों की निगरानी करने की जिम्मेदारी देने के केंद्र के सुझाव पर बेंच सहमत नहीं हुई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, देश में 2015 से 2020 के बीच राजद्रोह के 356 मामले दर्ज किए गए और 548 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि, छह साल की इस अवधि में राजद्रोह के सात मामलों में गिरफ्तार केवल 12 लोगों को दोषी करार दिया गया। शीर्ष अदालत ने 1962 में राजद्रोह कानून की वैधता को बरकरार रखा था और इसका दायरा सीमित करने का प्रयास किया था ताकि इसका दुरुपयोग नहीं हो।

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 11 January 2025
पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन का आज 47वां दिन है। गुरुवार को हुए उनकी टेस्ट की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है।…
 11 January 2025
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा आज अपने बचे हुए 41 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर सकती है। इसको लेकर शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर…
 11 January 2025
प्रयागराज महाकुंभ में संन्यास लेने वाली 13 साल की लड़की का संन्यास 6 दिन में ही वापस हो गया। दीक्षा दिलाने वाले महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े से 7…
 11 January 2025
असम के दीमा हसाओ जिले में 300 फीट गहरी कोयला खदान से शनिवार को एक और मजदूर लिजान मगर का शव पानी पर तैरता हुआ मिला। मजदूर की पहचान 27…
 11 January 2025
कोरोना वायरस जैसे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के देश में कुल 15 मामले हो गए हैं। शनिवार को असम में पहला केस सामने आया। यहां 10 महीने का बच्चा पॉजिटिव है।बच्चे…
 10 January 2025
पंजाब के अमृतसर में एक और पुलिस चौकी धमाके की आवाज से दहल गई। यह धमाके की आवाज गुरुवार रात करीब 8 बजे सुनाई दी। पुलिस ने बयान जारी कर…
 10 January 2025
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में आज सुबह एक उद्योग में भीषण आग लग गई है। फॉर्मा उद्योग में जब आग लगी तो नाइट शिफ्ट के लगभग 35 कर्मचारी…
 10 January 2025
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के लिए लगाई गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया। 17 अक्टूबर…
 10 January 2025
हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 46 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसके साथ ही कोर्ट में…
Advt.