1- ओटीपी का नियम
कार्ड जारीकर्ता को कार्ड होल्डर्स से वन टाइम पासवर्ड के आधार पर सहमति लेना होगी। कार्ड जारी करने के 30 दिन से अधिक समय तक अगर कार्ड होल्डर्स की तरफ से कोई जवाब नहीं आता है तो कार्ड जारीकर्ता को ग्राहक से पूछकर 7 दिन के अंदर क्रेडिट कार्ड बंद करना होगा।
2- क्रेडिट कार्ड लिमिट अप्रूवल
कार्ड जारी कर्ता बिना कार्ड होल्डर्स से पूछे कार्ड लिमिट की
सीमा को तोड़ा नहीं जा सकेगा। यानी लिमिट में बदलाव करने को लेकर 1 अक्टूबर
से ग्राहकों को कार्ड जारी कर्ता की तरफ से जानकारी देनी होगी। और कस्टमर
से लिखित परमिशन लेनी होगी।
3- ब्याज दर में बदलाव
रिजर्व बैंक के सर्कुलर के अनुसार अनपेड चार्ज/लेवी/करों को कंपाउंडिंग ब्याज के लिहाज से कैपिटलाइज नहीं किया जा सकेगा। सरल शब्दों में कहा जाए तो क्रेडिट कार्ड के ब्याज के जाल में ग्राहक ना फंसे इसलिए कंपनियां 1 अक्टूबर से कंपाउंडिंग ब्याज बिलों पर नहीं लगा पाएंगी।
इन सबके अलावा 1 अक्टूबर से टोकेनाइजेशन का नियम भी लागू हो रहा
है। रिजर्व बैंक के अनुसार कार्ड से जुड़ी जानकारी को किसी नए कोड में
बहलना ही ‘टोकन’ कहलाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जब कभी आप किसी
पोर्टल से सामान मंगाते हैं तब आपसे कार्ड से जुड़ी जानकारी मांगी जाती है।
आपका यही पर्सनल जानकारी एक कोड के रूप में बदली जा सकेगी।