फिर मनहूस साबित हुआ टाइटैनिक, जहाज का मलबा दिखाने वाली टूरिस्ट पनडुब्बी भी अटलांटिक में डूबी
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20-06-2023 07:36 PM
वॉशिंगटन: पांच पर्यटकों को टाइटैनिक का मलबा दिखाने के लिए ले जाने वाली पनडुब्बी उत्तरी अटलांटिक में डूब गई है। रविवार से ही इस पनडुब्बी का कुछ पता नहीं चल रहा है। अमेरिकी तटरक्षक बल की तरफ से राहत कार्य जारी है मगर सफलता अभी तक नहीं मिली है। परेशान करने वाली बात है कि पनडुब्बी पर सिर्फ 96 घंटे की ही ऑक्सीजन बची है। बोस्टन कोस्ट गार्ड की तरफ से कहा गया है कि 19 जून तक चले राहत कार्य के बाद भी कुछ पता नहीं लग पाया है।
कंपनी ने ली जिम्मेदारीइस पनडुब्बी को ओशिनगेट एक्पीडिशंस की तरफ से ऑपरेट किया जाता है। यह कंपनी गहरे समंदर में अभियान आयोजित करने का काम करती है। कंपनी की तरफ से इस हादसे की जिम्मेदारी ली गई है। अंतरिक्ष विज्ञान शास्त्री और पत्रकार स्टीव नोरिस ने इस बात की पुष्टि की है कि पनडुब्बी में सिर्फ कुछ ही घंटों की ऑक्सीजन बची है। ऐसे में क्रू का पता लगाने के लिए सिर्फ 72 घंटे का ही समय है। टाइटैनिक जहाज सन् 1912 में ग्लेशियर से टकराने के बाद डूब गया था।इस जहाज के मलबे को लेकर पर्यटकों में खासी उत्सुकता रहती है। वो इसके लिए पेमेंट तक करते हैं और फिर एक छोटी पनडुब्बी की मदद से इसके मलबे तक पहुंचते हैं। टाइटैनिक जहाज का मलबा करीब 3800 मीटर गहराई में है। कनाडा के न्यूफाउंडलैंड में उत्तरी अटलांटिक के तली पर इसका मलबा पड़ा हुआ है। पनडुब्बी पर एक पायलट और चार मिशन स्पेशलिस्ट्स सवार थे।कैसे डूबा था टाइटैनिक
टाइटैनिक पर सवार 2,200 लोगों में से करीब 1,500 लोगों की मौत हो गई। जहाज साउथहैम्पटन से न्यूयॉर्क तक अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुआ था। ग्लेशियर से टकराने के बाद यह दो टुकड़ों में बंट गया और एकदम नीचे चला गया था। कनाडा के कोस्ट गार्ड की तरफ से भी इसके डूबने की पुष्टि की गई है। बताया जा रहा है कि डूबने की पहली जानकारी तब मिली जब कनाडा की रिसर्च शिप एमवी पोलर प्रिंस का कॉन्टैक्स इससे टूट गया।
पनडुब्बी केप कोड के पूर्व में 900 मील दूर थी जब इसका संपर्क टूटा। विशेषज्ञों की मानें तो दूरदराज के इस इलाके में खोज करना एक चुनौती है। लेकिन फिर भी कोशिशें जारी हैं ताकि इस पर सवार लोगों को बचाया जा सके।