हार्ट अटैक या जहर देकर मारा गया? ताशकंद में लाल बहादुर शास्‍त्री से जुड़ा वो राज जो कभी नहीं खुला

Updated on 11-01-2023 05:43 PM
नई दिल्‍ली: लाल बहादुर शास्‍त्री। जब भी यह नाम आता है, सामने एक ही तस्‍वीर आती है। छोटा कद, साफ-सुथरी छवि और सादगी वाला व्‍यक्तित्‍व। शास्‍त्री करीब डेढ़ साल प्रधानमंत्री रहे। उन्‍होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद पीएम पद संभाला था। यह आसान नहीं था। नेहरू का कद इतना बड़ा था कि उसे हर कोई 'मैच' नहीं कर सकता था। शास्‍त्री ने इस वैक्‍यूम को भरने में समय नहीं लगाया। यह और बात है कि पीएम की कुर्सी पर रहते हुए ही कुछ समय बाद उनका भी निधन हो गया। यह देश के लिए बड़ा दुर्भाग्‍य था। 1966 में आज ही के दिन ताशकंद में उन्‍होंने अंतिम सांस ली थी। उनकी मौत बेहद रहस्‍यमय स्थितियों हुई थी। इसमें दो थ्‍योरी सामने सामने आती हैं। एक में कहा जाता है कि उन्‍हें हार्ट अटैक आया था। दूसरी के अनुसार, उन्‍हें जहर देकर मारा गया था। आखिर ताशकंद में लाल बहादुर शास्‍त्री क्‍या करने गए थे? तब क्‍या हुआ था? स्थितियां कैसी थीं? आइए, यहां शास्‍त्री की पुण्‍यतिथि पर उस काली रात का रहस्‍य जानते हैं जो कभी खुल नहीं पाया।

शास्‍त्री की छवि साफ-सुथरी और बेदाग थी। अपनी सादगी के लिए वह मशहूर थे। जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून 1964 को शास्‍त्री ने प्रधानमंत्री का पदभार संभाला था। वह करीब 18 महीने तक देश के पीएम रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। तब अयूब खान पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति थे। नेहरू के निधन के समय भारत और पाकिस्‍तान कश्‍मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के मुहाने पर खड़े थे। अयूब खान फील्‍ड मार्शल थे। अक्‍टूबर 1964 में काहिरा में एक बैठक हुई थी। इसमें शामिल होने के बाद शास्‍त्री कुछ देर के लिए कराची में ठहरे थे। इसी दौरान अयूब खान से उनकी पहली मुलाकात हुई थी। शास्‍त्री से मिलकर अयूब खान कुछ खास प्रभावित नहीं हुए। शास्‍त्री की सादगी को देख तानाशाह ने कश्‍मीर को बातचीत की जगह जबरन हासिल कर लेने का मुगालता पाल लिया था।
अयूब खान को गलती का हुआ एहसास
अयूब खान ने अगस्‍त 1965 में घाटी में घुसपैठियों को भेज दिया। धोती पहनने वाले कम कद के भारतीय पीएम को हल्‍के में लेना अयूब को भारी पड़ा। जब पाकिस्‍तानी फौजों ने चंबा सेक्‍टर में हमला किया तो शास्‍त्री ने पंजाब में मोर्चा खोलने की मंजूरी दे दी। भारतीय फौजें लाहौर कूच कर गईं। भीषण संग्राम हुआ। भारत ने पाकिस्‍तान की एकड़ों-एकड़ जमीन कब्‍जे में ले ली थी। अयूब खान को अपनी गलती का एहसास हो चुका था। संयुक्‍त राष्‍ट्र की पहल पर 22 सितंबर से संघर्ष विराम हुआ।

इसी के बाद ताशकंद का चैप्‍टर शुरू होता है। 1965 की इस जंग के बाद भारत और पाकिस्‍तान में कई दौर की वार्ता हुई। आखिरकार दिन और जगह तय हुई। समझौते की पेशकश सोवियत संघ के तत्‍कालीन पीएम एलेक्‍सेई कोजिगिन ने की थी। करार में कहा गया था कि भारत-पाकिस्‍तान की सेनाएं जंग से पहले वाली स्थिति पर चली जाएंगी। इसमें युद्धबंदियों की रिहाई के साथ द्विपक्षीय संबंध सुधारने की भी जिम्‍मेदारी तय की गई थी। यह समझौता कहता था कि दोनों देश एक-दूसरे के आंतरिक मसलों से दूर रहेंगे। इसमें आर्थिक और कूटनीतिक रिश्‍ते बहाल करने संबंधी शर्तें भी थीं। इस समझौते के लिए ताशकंद में 10 जनवरी 1966 का दिन तय हुआ था। इसके तहत 25 फरवरी 1966 तक दोनों देशों को अपनी-अपनी सेनाएं सीमा रेखा से पीछे हटानी थीं। समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में शास्‍त्री चल बसे।
शास्‍त्री की मौत से जुड़े रहस्‍य
इस समझौते पर हस्‍ताक्षर करने के बाद शास्‍त्री दबाव में थे। इतिहासकार कहते हैं कि पाकिस्‍तान को हाजी पीर और ठिथवाल वापस देने की वजह से उन्‍हें देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। तब वरिष्‍ठ पत्रकार कुलदीप नैयर उनके प्रेस सलाहकार थे। नैयर ने ही शास्‍त्री के निधन की खबर उनके घरवालों को बताई थी। बीबीसी को दिए इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा था कि हाजी पीर और ठिथवाल को पाकिस्‍तान को दिए जाने से शास्‍त्री की पत्‍नी खासी नाराज थीं। यहां तक उन्‍होंने शास्‍त्री से फोन पर बात करने से भी मना कर दिया था। इस बात से शास्‍त्री को बहुत चोट पहुंची थी। अगले दिन जब शास्‍त्री के गुजर जाने की खबर मिली तो पूरे देश के साथ वह भी सन्‍न रह गई थीं।

नैयर ने अपनी किताब 'बियान्‍ड द लाइन' में उस रात की कुछ बातें लिखी हैं। वह बताते हैं कि निधन से पहले शास्‍त्री बेचैन थे। लोगों ने उन्‍हें कमरे में टहलते देखा था। नैयर अपने कमरे में सो रहे थे। किसी ने उनका दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोलने पर एक रूसी महिला खड़ी थी। उसने बताया कि शास्‍त्री की हालत नाजुक है। शास्‍त्री के पास पहुंचने पर उनके नजदीक सोवियत संघ के पीएम एजेक्‍सी खड़े थे। उन्‍होंने ही बताया कि शास्‍त्री गुजर गए हैं। कई लोग जहां दावा करते हैं कि शास्‍त्री जी को जहर देकर मारा गया। तो, तमाम कहते हैं उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई।

अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 11 January 2025
पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन का आज 47वां दिन है। गुरुवार को हुए उनकी टेस्ट की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है।…
 11 January 2025
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा आज अपने बचे हुए 41 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर सकती है। इसको लेकर शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर…
 11 January 2025
प्रयागराज महाकुंभ में संन्यास लेने वाली 13 साल की लड़की का संन्यास 6 दिन में ही वापस हो गया। दीक्षा दिलाने वाले महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े से 7…
 11 January 2025
असम के दीमा हसाओ जिले में 300 फीट गहरी कोयला खदान से शनिवार को एक और मजदूर लिजान मगर का शव पानी पर तैरता हुआ मिला। मजदूर की पहचान 27…
 11 January 2025
कोरोना वायरस जैसे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के देश में कुल 15 मामले हो गए हैं। शनिवार को असम में पहला केस सामने आया। यहां 10 महीने का बच्चा पॉजिटिव है।बच्चे…
 10 January 2025
पंजाब के अमृतसर में एक और पुलिस चौकी धमाके की आवाज से दहल गई। यह धमाके की आवाज गुरुवार रात करीब 8 बजे सुनाई दी। पुलिस ने बयान जारी कर…
 10 January 2025
हिमाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में आज सुबह एक उद्योग में भीषण आग लग गई है। फॉर्मा उद्योग में जब आग लगी तो नाइट शिफ्ट के लगभग 35 कर्मचारी…
 10 January 2025
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने के लिए लगाई गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया। 17 अक्टूबर…
 10 January 2025
हरियाणा-पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 46 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इसके साथ ही कोर्ट में…
Advt.