चलते हुए कारोबार को भी रोका नहीं जाता। उसे PMLA के तहत अटैच कर लिया जाता है और कमाई ईडी के पास जमा होती रहती है। इसमें भी आरोपी कोर्ट से दखल दिलवा सकता है। अटैच की गई संपत्तियां सालों तक बंद पड़ी रह सकती हैं। उनकी मेंटेनेंस का कोई प्रावधान नहीं है। अदालत मनी लॉन्डिंग की पुष्टि के बाद प्रॉपर्टी को जब्त करने का आदेश देती है। अटैच की गई गाड़ियां सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के वेयरहाउसों में भेज दी जाती हैं।
मनी लॉन्डिंग के मामलों में चार्जशीट दायर करने के साथ ही ईडी सीज संपत्तियों की नीलामी की अपील भी करता है। अदालत दोषी से रिकवरी के लिए नीलामी का आदेश दे सकती है। नीलाम से जमा रकम सरकारी खजाने में जमा कर दी जाती है।