भारतीय सेना में क्या अब कभी नहीं दिखेंगे गोरखा सैनिक? नेपाली राजदूत ने दिया बड़ा बयान
Updated on
26-07-2023 02:58 PM
काठमांडू: नेपाल ने अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती पर रोक लगा रखी है। हालांकि यह मामला पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। भारत में नेपाल के राजदूत शंकर प्रसाद शर्मा ने सोमवार को इससे जुड़ी जानकारी दी। फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल दोनों सरकारों के बीच इस मुद्दे पर कोई गंभीर चर्चा नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस मामले पर बातचीत पूरी तरह से बंद हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अग्निपथ स्कीम के तहत एक नए प्रकार के तंत्र विकसित किए हैं और सेना नेपाल से भर्ती में उसी तंत्र का उपयोग करना चाहेगी। नेपाल लेकिन कुछ अलग चाह रहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल चाह रहा है कि पुरानी प्रणाली के तहत ही सबकुछ हो। उन्होंने कहा, 'यह पूरी तरह से खत्म नहीं है। लेकिन मैंने दोनों देशों के बीच इसपर कोई गंभीर चर्चा नहीं होते देखी है। इसलिए मैं कहूंगा यह विराम के चरण में है।'
नेपाल ने रोकी थी भर्ती
अग्निपथ योजना की शुरुआत के बाद नेपाल सरकार ने अगस्त 2022 में भारतीय सेना के लिए गोरखाओं की भर्ती रोक दी थी। तब नेपाल ने कहा था कि यह भर्ती ब्रिटेन-भारत-नेपाल त्रिपक्षीय समझौते के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। समझौते के मुताबिक 1947 में स्वतंत्रता के समय छह गोरखा रेजिमेंट भारतीय सेना का हिस्सा बनी थीं। आजादी के बाद सातवीं सेना गोरखा राइफल्स रेजिमेंट बनी। इन रेजिमेंटों में सैनिक मुख्य तौर पर भारत और नेपाल के जातीय गोरखा समुदायों से होते हैं। भारत की गोरखा रेजिमेंट में नेपाली 60 फीसदी हिस्सा हैं।