रियाद: खाड़ी के दो मुस्लिम देश इस समय एक दूसरे के विरोधी बन रहे हैं। अमेरिका के कम होते प्रभाव के बीच अब दोनों वर्चस्व की जंग लड़ रहे हैं। यह देश हैं सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले साल पत्रकारों से बातचीत में यूएई पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। मोहम्मद बिन सलमान और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के बीच बढ़ती दूरियों के बीच यह धमकी आई है, जो क्षेत्रीय नीति और OPEC के सीमा से जुड़े मतभेद दिखाता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक दिसंबर में क्राउन प्रिंस ने पत्रकारों से ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत की थी। उन्होंने यूएई को अपनी डिमांड की एक सूची भेजी थी और चेतावनी दी थी कि अगर यूएई ने क्षेत्र में सऊदी अरब के हितों को कमजोर करना जारी रखा तो वह उसके खिलाफ दंडात्मक कदम उठाएगा। इस दौरान बातचीत में उन्होंने यह तक कह डाला कि उन्होंने कतर पर जो प्रतिबंध लगाए थे, यह उससे भी ज्यादा बुरा होगा। 2017 में सऊदी अरब ने यूएई और बहरीन की मदद से कतर पर तीन साल से ज्यादा समय तक राजनयिक प्रतिबंध लगाए थे।
छह महीने से नहीं हुई बात
रिपोर्ट के मुताबिक खाड़ी क्षेत्र में अपने प्रभुत्व के लिए क्राउन प्रिंस और बिन जायद के बीच संघर्ष चल रहा है। दोनों के बीच छह महीने से कोई बातचीत नहीं हुई है। मोहम्मद बिन सलमान ने सऊदी पत्रकारों के साथ बातचीत में यूएई पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही देख लेने की चेतावनी दी थी। यह दरार मध्य पूर्व और दुनिया के तेल बाजारों में जियोपॉलिटिक्स और आर्थिक प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा को दिखाती है। इस क्षेत्र में अमेरिका की कम भागीदारी से यह और भी ज्यादा बढ़ गया है। दोनों देश रूस और चीन के करीब पहुंच बनाने में लगे हैं।
अमेरिका को टेंशन
दोनों देशों के बीच बढ़े हुए तनाव ने अमेरिकी अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। उन्हें डर है कि अगर दोनों देशों के संबंधों में दरार आई तो ईरान के खिलाफ सुरक्षा गठबंधन स्थापित करने, यमन में युद्ध को रोकने और मुस्लिम देशों के साथ इजरायल के संबंधों के विस्तार में बाधा पैदा होगी। यूएई लगातार अपनी अर्थव्यवस्था की निर्भरता को तेल से कम करने में लगा है। सऊदी अरब ने भी अब अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाना शुरू कर दिया है, जिससे वह यूएई के साथ सीधे संघर्ष में आ गया है।