कहा, बदलावों के तौर से गुजर रही दुनिया
बीस लाख से अधिक जवानों और अधिकारियों वाली दुनिया की सबसे बड़ी सेना को
अपने नए कार्यकाल के पहले पहले संबोधन में जिनपिंग ने कहा कि दुनिया ऐसे
बदलावों से गुजर रही है जो पिछली एक सदी में नहीं देखे गए। उन्होंने जोर
देते हुए कहा कि चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ती अस्थिरता एवं अनिश्चितता
के खतरे का सामना कर रही है और सेना के सामने कठिन कार्य है। जिनपिंग का यह
बयान संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामक सैन्य
गतिविधियों को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंता के बीच आया है। उधर, चीन और
भारत की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से गतिरोध जारी है।
ताइवान मुद्दे पर बढ़ा है तनाव
अगस्त में अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद यह तनाव
बढ़ गया है। चीन ने पेलोसी की यात्रा को अपनी संप्रभुता के लिए एक चुनौती
के रूप में देखा और ताइवान के ऊपर बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू कर और
बैलिस्टिक मिसाइल दागकर ताकत के प्रदर्शन के साथ जवाबी कार्रवाई की। शी
जिनपिंग के तीसरे राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ताइवान को लेकर चीनी नीति
और सख्त हुई है। सरकार का कहना है कि ताइवान उसका अलग द्वीप प्रांत है,
उसका जल्द ही चीन में पुनर्मिलन हो जाएगा। जबकि अमेरिका व उसके सहयोगी देश
चीन के इस रवैये का विरोध करते हुए ताइवान को स्वतंत्र देश मानते हैं।
ताइवान कह चुका हम झुकने वाले नहीं
बीते दिनों ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने कहा कि उनका स्वशासित
द्विपीय देश चीन की आक्रामक धमकियों के आगे घुटने नहीं टेकेगा। हम चीन की
धमकियों से डरने वाले नहीं हैं। ताइपे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते
हुए वेन ने कहा था कि ताइवान स्वतंत्र राष्ट्र था और रहेगा। अगर चीन मानता
है कि वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा, तो ये उसकी भूल है।
कहा, पूरी ताकत झोंक दो
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनपिंग ने
सेना से कहा कि सेना को अपनी सारी ऊर्जा युद्ध में लगा देनी चाहिए। युद्ध
की तैयारियों को लेकर सेना को अपनी क्षमता और संसाधनों को भी बढ़ाना चाहिए।
जिनपिंग ने चीनी सशस्त्र बलों को 20वीं सीपीसी राष्ट्रीय कांग्रेस के
मार्गदर्शक सिद्धांतों का पूरी तरह से अध्ययन, उनका प्रचार और कार्यान्वयन
करने तथा राष्ट्रीय रक्षा और सेना को और आधुनिक बनाने के लिए ठोस कार्रवाई
करने का निर्देश दिया।