मुजफ्फराबाद: कश्मीर भारत और पाकिस्तान की सीमा के बीच स्थित वह हिस्सा जो सन् 1947 से अनसुलझा है। दुनिया के इस हिस्से पर स्थित बॉर्डर सबसे अशांत है और अक्सर दोनों देश यहां उलझे रहते हैं। पाकिस्तान में बीबीसी के सीनियर जर्नलिस्ट वुसतुल्लाह खान ने अब इस मसले पर देश की कश्मीर नीति को लेकर सरकारों को कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही उन्होंने कश्मीर के फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं की भी हकीकत सबके सामने लाकर रख दी। तीन और चार जून तक पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में पहली बार साहित्य महोत्सव (PLF) का आयोजन हुआ। इसी आयोजन ने वुसतुल्लाह ने कश्मीर को लेकर वह कड़वा सच कह दिया जो इसके आयोजकों के लिए मुसीबत बन गया था।75 सालों से ईस्ट पाकिस्तान वाली नीतियांइस साहित्य महोत्सव को पाकिस्तान आर्ट काउंसिल, कराची के अहमद शाह की तरफ से आयोजित किया गया था। देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए आयोजन के तहत ही इसका एक आयोजन मुजफ्फराबाद में किया गया था। वुसतुल्लाह जिन्होंने बीबीसी के लिए जम्मू कश्मीर में हुए चुनावों को भी कवर किया है, उन्होंने कड़े शब्दों में कश्मीर नीति को सबके सामने लाकर रख दिया। अपने भाषण की शुरुआत में उन्होंने कहा कि सन् 1971 में जो नीतियां ईस्ट पाकिस्तान के लिए थीं, वहीं 75 सालों से कश्मीर में जारी हैं।
उन्होंने कहा, 'कश्मीर कोई मसला नहीं बल्कि एक बड़े राजनीतिक तबके लिए इंडस्ट्री है। इस इंडस्ट्री के साथ कश्मीर कमेटी का रोजगार लगा हुआ है। इस इंडस्ट्री के साथ फारूख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के अलावा आजाद कश्मीर (पीओके) के राजनीतिक तबके का रोजगार जुड़ा हुआ है। फिर मैं इस मसले के बारे में आउट ऑफ बॉक्स समाधान बताकर मैं अपने पेट पर लात क्यों मारूंगा।'
कश्मीर की वजह से गाड़ियां और पैसे
उनका कहना था कि यह तो रोजी-रोटी का सवाल है। कश्मीर मसले की वजह से उन्हें भत्ते मिल रहे हैं, गाड़ियां मिल रही हैं और केंद्र (इस्लामाबाद) से पैसा मिल रहा है, वह प्रशासन जो ब्रेडफोर्ड (यूके) में जाकर कश्मीरियों को कश्मीर का मसला समझा रही है। वुसतुल्लाह ने पाकिस्तान की सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने जैसे ही 75 साल पुरानी असफल नीतियों का जिक्र किया, भीड़ में नारे लगने लगे। भीड़ में बैठे लोग चिल्ला रहे थे, 'यह मुल्क हमारा है, इसका फैसला हम करेंगे। छीन के लेंगे आजादी।'
इस पर वुसतुल्लाह ने कहा, 'अगर आप यहां पर पहले से तय एजेंडे के साथ आए हैं और हमें नहीं सुनना चाहते हैं तो फिर हम वापस जा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि 75 सालों से ऐसे ही नारे लग रहे हैं और सिर्फ नारे ही लगे हैं। उनका कहना था कि कश्मीर नीति पहले से ही काफी बेहतर तरीके से निर्धारित की गई है और उसका कोई विकल्प नहीं हो सकता है।
केएच खुर्शीद का जिक्र
इसके बाद उन्होंने केएच खुर्शीद का नाम लिया और कहा कि कितने लोगों को मालूम होगा कि उनके साथ क्या हुआ था। उन्होंने खुर्शीद को क्षेत्र का सबसे सच्चा इंसान करार दिया। वुसतुल्लाह ने कहा कि खुर्शीद ने आजाद कश्मीर के राष्ट्रपति के रूप में काम किया था। इसके बाद उन्होंने बताया, ' के.एच. खुर्शीद ने लीक से हटकर समाधान सुझाने का प्रयास किया था। उनका सुझाव था कि पाकिस्तान आजाद कश्मीर सरकार को निर्वासित सरकार यानी कश्मीरियों की सरकार के तौर पर मान्यता दे।'
मामाजी ने किया है नाक में दम
वुसतुल्ला के मुताबिक कश्मीरी खुद अपने मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाएंगे और पाकिस्तान को सिर्फ नैतिक समर्थन देना चाहिए। मगर बचपन से ही हमें हर मामले में मामा बनने की आदत है। खान ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, 'पाकिस्तान कहता आया है कि 'आप कैसे जानते हैं कि आप क्या चाहते हैं'। फिर वह कहता है कि हम ही आपको बताएंगे कि आप क्या चाहते हैं। यह 75 साल से पाकिस्तान की कश्मीर नीति है। जब भी मामाजी ने उनकी नाक में दम किया, कश्मीर मुद्दा 20 साल पीछे खिसक गया।