जो समाज पिछड़ा हुआ है उनका नेता अगर सो जाएगा तो वो समाज कैसे आगे बढ़ेगा : डॉ. अंबेडकर

Updated on 14-04-2025 01:15 PM
14 अप्रैल जयंती पर विशेष

भारतीय संविधान के शिल्पी डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन से जुड़ा एक रोचक प्रसंग याद आता है जब एक बार विदेशी पत्रकारों का प्रतिनिधि मंडल भारत भ्रमण पर आया। यह प्रतिनिधि मंडल जब बाबा साहेब अंबेडकर के नई दिल्ली स्थित निवास पर पहुंचा तो उन्हें आधी रात में भी डॉ. अंबेडकर अपने अध्ययन कक्ष में पढ़ते हुए नजर आये। तब उन्होंने अंगरक्षकों से अंदर प्रवेश की इजाजत के साथ अपना परिचय देते हुए सवाल किया। जब हम अन्य राष्ट्रीय नेताओं के यहां मुलाकात करने उनके निवास पर गये तो वे सोते हुए मिले, मगर इतने रात भी आप जग रहे हैं, इसका क्या कारण है ? बाबा साहब ने कहा बंधुओं, वे इसलिए सोए हुए हैं क्योंकि उनका समाज जगा हुआ है ? उनका नेता सो जायेगा तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन जो कौम, वे लोग, वह समाज पिछड़ा हुआ है उनका नेता सो जाएगा तो वह समाज कैसे आगे बढ़ेगा ?

भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर हमारे संविधान निर्माता के रूप में सदैव याद किये जायेंगे। भारत के संविधान में डॉ. अंबेडकर ने मौलिक अधिकारों की व्याख्या जिस प्रकार की है वह विश्व में अद्वितीय है। भारतीय संविधान केवल मौलिक अधिकारों को निरुपित नहीं करता बल्कि इनकी प्राप्ति एवं इनको लागू हेतु विशिष्ट प्रावधान भी इसमें समाहित है। डॉ. बाबा साहब अंबेडकर का जीवन हमें सहसा भगवत् गीता में भगवान कृष्ण द्वारा प्रतिपादित कर्मयोग सिद्धांत की याद दिलाता है। उनका पूरा जीवन ही निष्काम भाव से लोक कल्याण के लिए समर्पित था। वे महान पुरुषार्थी थे और उन्होंने शोषितों और दलितों का उद्धार कर अपनी भीष्म प्रतिज्ञा पूरी की।

बाबा साहब जनसभाओ में अक्सर कहा करते थे-
“शिक्षा उस शेरनी के दूध के समान है,
जो पियेगा वो दहाड़ेगा।

बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म यद्यपि निर्धन तथा दलित परिवार में हुआ किंतु उन्होंने अपने कठोर परिश्रम, निरंतर संघर्ष और योग्यता से तत्कालीन विषम और कठिन सामाजिक परिस्थितियों के बावजूद भी संविधान के निर्माता बनने तक के उच्च शिखर को प्राप्त किया। बाबा साहेब ने सतत् और कठिन परिश्रम से विद्यार्जन किया और अनेक शास्त्रों के ज्ञाता बने। अपने ज्ञान से केवल वे ही आलोकित नहीं हुए बल्कि उन्होंने पूरे समाज को आलोकित किया। बाबा साहेब एक ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने मानवतावादी मूल्यों की स्थापना तथा सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए अपना संपूर्ण जीवन जनमानस को समर्पित कर दिया। समाज में समरसता के पक्षधर बाबा साहेब ने उपेक्षित और निर्बल लोगों के जीवन में एक नयी चेतना का प्रकाश फैलाया। उनका मानना था कि समाज सुधार के बिना सच्ची राष्ट्रीयता का उदय संभव नहीं। बाबा साहेब ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उपेक्षित और शोषित वर्ग के दिलों में नयी स्फूर्ति और चेतना का संसार कर उसे आम जनता के बराबर खड़ा करने का प्रयास किया।

स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत जब संविधान निर्माण का कार्य डॉ. बाबा साहब अंबेडकर को सौंपा गया तो उन्होंने न्याय, समता और बंधुत्व के महान सिद्धांत पर आधारित विश्व के सर्वाेत्तम संविधान के निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका निभायी। यह संविधान हमें समानता और अधिकारों की रक्षा की गारंटी देता है। बाबा साहेब के इस महान कार्य के लिए अमरीका की कोलंबिया विश्वविद्यालय ने उन्हें एल.एल.डी. की मानद उपाधि से विभूषित किया।

संघर्ष व्यक्तित्व की कसौटी है उस कसौटी पर खरा उतरने वाला व्यक्ति यदि नैतिकता से पूरी तरह जुड़ा हुआ हो तो उसकी कभी पराजय नहीं होती। यदि पराजय होती भी है तो वह क्षणिक ही रहती है। डॉ. अंबेडकर का जीवन प्रतिक्रिया से भरा है, आवेगों से सना रहा है। अंतर यह है कि उनकी प्रतिक्रिया और आवेग स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि उस दलित समाज के उद्धार के लिए थे। जिस पर सदियों से आघात होता रहा है। यदि राष्ट्र के लिए सब कुछ नहीं कर पाते जो उन्होंने कर दिया। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ऐसे ही महापुरुष थे जिन्होंने दलितों के उद्धार में अपनी सारी जिंदगी की आहूति कर दी उन्होंने दकियानुसी तथाकथित सामाजिक और धार्मिक परंपराओं के विरोध में तीखा संघर्ष किया और समुद्र मंथन जिससे उत्पीड़ित और समस्त जनता के लिए महासुखदायी अमृत हाथ लगा। जैसा कार्य किया उसकी मानसिकता बदली और जीवन को एक नया पाथेय मिला।

डॉ. भीमराव अंबेडकर एक ऐसा बहुमुखी व्यक्तित्व है, जिसके मूल में शोषितों उपेक्षितों को न्याय दिलाने की छटपटाहट है। इसके लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया। अपने भाषण व लेखन के द्वारा जनता को सतत जागृत किया। संभवतः उनकी जीवनकाल में उनके कार्यों का ठीक-ठीकं आंकलन नहीं हो सका। उन्होंने स्वयं कहा था कि ‘‘लोग मुझे अभी समझ नहीं पाये हैं मुझे उपेक्षित दृष्टि से देखा जाता है। एक समय आएगा जब इस देश के लोग मुझे ठीक प्रकार से समझ पाएंगे और सम्मान करेंगे। लेकिन जब तक ऐसा समय आएगा तब तक मैं शायद जीवित नहीं रहूंगा।‘‘ उनका यह कथन सत्य सिद्ध हुआ। इस तरह हम देखते हैं कि बाबा साहेब ने अपने जीवन और कार्यों से भारत के करोड़ों शोषितों और पीड़ित व्यक्तियों के जीवन में सोयी हुई जीवनी शक्ति को जागृत किया। डॉ. अंबेडकर अपनी मंजिले साथ लेकर ही चलते रहे, अदम्य साहस के साथ उनका त्याग और बलिदान व्यर्थ नहीं गया। उनको अंपनी अस्पृश्यता का बोध तो उन्हें बचपन में ही हो गया था। विद्यार्थी जीवन में यह भान हुआ की दलितों की उन्नति का रामबाण उपाय है शिक्षा, अंबेडकर के जीवन का ध्येय अछूतों को न्याय और समानता दिलाना था उन्होंने दलितों के नेतृत्व का आरंभ ‘मूकनायक‘ समाचार पत्र के प्रकाशन से किया।

अंबडेकर का कहना था कि स्वतंत्रता भीख मांगकर नहीं मिलती, उसे अपनी शक्ति व सामर्थ्य से पाना होता है आत्मोद्धार किसी की कृपा से नहीं होता अपना उद्धार स्वयं करना होता है आत्मोद्धार के लिए अंबेडकर आगे आए बंबई विधान सभा के सदस्य बनकर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया इस दौरान स्त्री मजदूरों को प्रसूति अवकाश देने के संबंध में विधेयक प्रस्तुत किया इसे उन्होंने राष्ट्रीय हित का कार्य कहा। उनके द्वारा प्रमुख रूप से भारत के भावी संविधान में अस्पृश्यता निवारण की योजना बनायी। भारत सरकार द्वारा इस वर्ष भी उनके जन्म दिवस पर पूरे भारतवर्ष में अवकाश की घोषणा करना, उनकी वर्तमान में महत्ता को प्रदर्शित करता है। उक्तशय की जानकारी मजदूर इटंक के प्रदेश अध्यक्ष उमेश रगड़े ने दी है।



अन्य महत्वपुर्ण खबरें

 10 May 2025
जांजगीर-चांपा। सुशासन तिहार के अवसर पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम ने लोगों में शासन की योजनाओं के प्रति विश्वास को और मजबूत किया। कार्यक्रम में युवाओं ने उत्साह से भागीदारी की और…
 10 May 2025
धमतरी। खेती-किसानी को बेहतर बनाकर लाभ के व्यवसाय के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से जिले में लगातार किसान चौपालों का आयोजन किया जा रहा है। आज धमतरी विकासखण्ड के…
 10 May 2025
बिलासपुर। केंद्रीय आवासन एवं शहरी विकास राज्य मंत्री  तोखन साहू आज सुशासन तिहार के अंतर्गत बिल्हा ब्लॉक के लिमतरी में आयोजित समाधान शिविर में शामिल हुए। उन्होंने शिविर स्थल पर सभी…
 10 May 2025
बिलासपुर। स्वच्छ भारत मिशन के तहत विकासखंड मस्तूरी के ग्राम पंचायत परसदा वेद में मलीय कीचड़ उपचार संयंत्र कि स्थापना की गई है। जिसके तहत 171 गांवों एवं नगरीय निकाय क्षेत्र…
 10 May 2025
बालोद। सुशासन तिहार के तीसरे एवं अंतिम चरण के अंतर्गत आज जिले के डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के ग्राम नाहंदा में आयोजित समाधान शिविर में ग्रामीणों एवं हितग्राहियों को अनेक सौगात मिला। इस…
 10 May 2025
राजनांदगांव। कलेक्टर एवं अध्यक्ष भारतीय रेडक्रास सोसायटी राजनांदगांव डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे के मार्गदर्शन में विश्व रेडक्रास दिवस एवं विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर दिव्यांगजन कौशल विकास, पुनर्वास एवं सशक्तिकरण…
 10 May 2025
राजनांदगांव । नगर सेना बाढ़ बचाव दल के जवानों द्वारा वर्षाकाल को देखते हुए दिग्विजय कॉलेज के पास रानीसागर तालाब में बाढ़ व आपदा से बचाव एवं मॉकड्रिल का आयोजन किया…
 10 May 2025
राजनांदगांव। निगम सीमाक्षेत्र मे शासन द्वारा स्वीकृत योजनाओं का क्रियान्वयन करने स्थल निरीक्षण हेतु महापौर  मधुसूदन यादव एवं कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे विभागीय अधिकारियों के साथ आज शहर भ्रमण किये।…
 09 May 2025
बलौदाबाजार। खेल एवं युवा कल्याण  मंत्री टंकराम वर्मा ने गुरुवार को इंडोर स्टेडियम बलौदाबाजार में समर कैम्प का शुभारम्भ किया। इस  दौरान उन्होंने खिलाड़ियों को खेल सामग्री का वितरण भी किया।…
Advt.