इस्लामाबाद : पाकिस्तान की सेना इमरान खान और पीटीआई कार्यकर्ताओं को 9 मई की हिंसा के लिए बिल्कुल भी रियायत देने के मूड में नहीं है। टॉप अधिकारियों ने बुधवार को सैन्य संस्थानों के खिलाफ नफरती और राजनीतिक रूप से प्रेरित विद्रोह को भड़काने वाले सभी 'मास्टरमाइंड' को 'कानून के फंदे' में कसने की कसम खाई। पाकिस्तानी सेना की मीडिया विंग आईएसपीआर की एक प्रेस रिलीज के अनुसार, रावलपिंडी स्थित जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) में 81वीं फॉर्मेशन कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के दौरान यह प्रण लिया गया।इस सम्मेलन की अध्यक्षता पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने की जिसमें पाकिस्तानी सेना के सभी फॉर्मेशन कमांडर मौजूद थे। पाक सेना की ओर से जारी बयान के अनुसार, 'फोरम ने '9 मई काला दिवस' की घटनाओं की निंदा की और सख्त लहजे में अपना संकल्प दोहराया कि स्मारकों, जिन्ना हाउस और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने वालों को निश्चित रूप से न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।'
इमरान ने की 215 कॉल?
पाकिस्तानी सेना का आरोप है कि इमरान खान ने 9 मई को हुई हिंसा की साजिश रची थी। जबकि इमरान खान का कहना है कि गिरफ्तारी के बाद वह जेल में थे और उन्हें इसकी कोई खबर नहीं थी कि सड़कों पर क्या हो रहा है। पंजाब पुलिस ने अपनी जांच में दावा किया है कि इमरान खान ने ही हिंसा की साजिश रची थी। ट्विटर पर शेयर एक फ्लो-चार्ट दावा करता है कि इमरान खान ने जिन्ना हाउस में हिंसा की साजिश रची और इसके लिए उन्होंने 8-9 मई को 215 कॉल कीं।
पीटीआई नेताओं ने छोड़ा साथ
पिछले महीने की हिंसा के बाद से हजारों पीटीआई कार्यकर्ता गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसके लिए इमरान खान को अपनी पार्टी के भीतर भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। 70 से अधिक पीटीआई नेता 9 मई को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आलोचना कर इमरान खान से किनारा कर चुके हैं। इसमें फवाद चौधरी और शिरीन मजारी जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम भी शामिल हैं जिन्हें इमरान के सबसे करीबी लोगों के रूप में जाना जाता था।