भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद यानी UNSC का परमानेंट सदस्य बनाने का रूस ने समर्थन किया है। विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मॉस्को में 7 दिसंबर को आयोजित एक इंटरनेशनल फोरम में कहा कि भारत ने दुनिया के प्रमुख मुद्दों पर अपने स्टैंड से काउंसिल की वैल्यू बढ़ाई है। ऐसे में उसे UNSC का परमानेंट सदस्य होना ही चाहिए।
भारत 2021 से UNSC काउंसिल की अध्यक्षता कर रहा है। जो इस साल दिसंबर में खत्म होने वाली है। इससे पहले आए रूस के विदेश मंत्री के बयान ने UNSC की परमानेंट सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को और मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है भारत इकोनॉमिक ग्रोथ के मामले में दुनिया के प्रमुख देशों में से एक है। भारत की जनसंख्या कुछ समय बाद दुनिया में सबसे ज्यादा हो जाएगी। लावरोव ने भारत की विदेश नीति की तारीफ करते हुए कहा कि उनके पास कई तरह की चुनौतियों से निपटने का डिप्लोमेटिक तजुर्बा है। साथ ही एशिया पर भारत का अच्छी खासी पकड़ भी है। जो UNSC के लिए उसकी दावेदारी को और भी मजबूत करता है।
सिर्फ UNSC ही नहीं SCO में भी भारत की अहम भूमिका
रूस
के विदेश मंत्री लावरोव ने कहा भारत सिर्फ संयुक्त राष्ट्र संघ ही नहीं
बल्कि क्षेत्रीय संगठनों में भी अहम भूमिका निभाता है। भारत ऐसा देश है जो
सिर्फ मल्टीपोलर दुनिया बनाने की चाहत रखने तक सीमित नहीं है बल्कि यह देश
उस दुनिया का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी बनेगा। उन्होंने शांघाई सहयोग संगठन
में भारत की भूमिका को सराहा है।
फ्रांस और अमेरिका भी उठा चुका कर ऐसी मांग
नवंबर
में फ्रांस और ब्रिटेन ने भी भारत को UN सिक्योरिटी काउंसिल का स्थायी
सदस्य बनाने की पेशकश की थी। यूनाइटेड नेशन (यूएन) में फ्रांस की प्रतिनिधि
ने कहा है कि समय आ गया है जब उभरते ताकतवर देशों की दुनिया की सबसे
पावरफुल संस्था में भारत की भागीदारी बढ़े। फ्रांस ने न सिर्फ भारत बल्कि
जर्मनी, ब्राजील और जापान को भी सिक्योरिटी काउंसिल में स्थाई सदस्य बनाने
की मांग की है।
2021 में प्रधानमंत्री के अमेरिकी दौरे के समय वहां के राष्ट्रपति जो बाइ़डेन ने UN सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सीट पर भारत की दावेदारी की वकालत की थी। उस समय भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया था कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि सभी क्वॉड मेंबर देश इस बात पर सहमत हैं।
भारत कर रहा है UNSC में सुधार की मांग
सिक्योरिटी
काउंसिल में बदलावों को लेकर यूएन में भारतीय राजनयिक रुचिरा कंबोज ने
गुरुवार को मुद्दा उठाया था। जिसमें उन्होंने UNSC में सामान प्रतिनिधित्व
की बात कही थी। बदलावों में जितनी देरी होगी उससे संस्था और दुनिया को उतना
ही नुकसान भी होगा। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत की तरफ से इस
तरह के सुधारों की मांग उठाई गई हो। समय-समय पर UNSC में इन बदलावों का
भारत समर्थन करता रहा है।
भारत UNSC का स्थायी सदस्य क्यों नहीं है?
भारत
काफी समय से सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का प्रयास कर रहा है,
लेकिन भारत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा चीन है। चीन के अलावा फ्रांस,
अमेरिका, रूस और ब्रिटेन भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने पर
अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन चीन अलग-अलग बहानों से भारत की स्थायी
सदस्यता का विरोध करता रहा है।
इसके अलावा कई बार UNSC के स्ट्रक्चर में बदलाव की मांगें भी उठती रही हैं। तर्क दिया जाता है कि UNSC में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व कम है, लेकिन स्थायी सदस्य नहीं चाहते कि इसमें किसी तरह का बदलाव हो और किसी दूसरी देश को वीटो पॉवर मिले। भारत के अलावा जापान, जर्मनी और ब्राजील भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का प्रयास कर रहे हैं।