काठमांडू/नई दिल्ली: भारत के दौरे पर आए नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड और पीएम मोदी के साथ मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच नया एयर रूट समझौता हो गया है। भारत ने इस बात पर सहमति जताई है कि वह दूसरी जगह से आ रही उड़ानों को पश्चिमी महेंद्रनगर के ऊपर से जाने का रास्ता देगा। हालांकि भारत ने इस पर शर्त रखी है कि इन विमानों की उड़ान 15 हजार से लेकर 24 हजार फुट के बीच होगी। भारत में जहां इसे बड़ा कदम बताया जा रहा है, वहीं नेपाल के विशेषज्ञ इस पर भड़के हुए हैं।
नेपाल के अखबार काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली विशेषज्ञों का मानना है कि 15 हजार से 24 हजार फुट की ऊंचाई बड़े विमानों के लिए बहुत कम है। उन्होंने कहा कि भारत पहले ही साल 2018 में निचली उड़ान भर रहे विमानों को प्रवेश की अनुमति दे चुका है। इस समझौते के बाद प्रचंड ने गुरुवार को कहा था, 'हमने अतिरिक्त एयर एंट्री रूट पर बात की थी। नेपाल द्विपक्षीय एंट्री रूट को लेकर भारत के सकारात्मक संकेत का स्वागत करता है।'
'भारत ने नेपाल से झूठ बोला है'
प्रचंड इस बात को लेकर बहुत आशान्वित हैं कि भारत पश्चिमी नेपाल के दो नए हवाई अड्डों भैरवा और पोखरा को जोड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई रूट को खोलने पर विचार करेगा। वहीं नेपाली विशेषज्ञ इससे नाखुश हैं और आरोप लगा रहे हैं कि भारत ने नेपाल से झूठ बोला है। नेपाल के नागर विमानन प्राधिकरण के पूर्व डायरेक्टर संजीव गौतम ने कहा, 'भारत ने पहले ही इस रास्ते को मंजूरी दी है। यह निचली उड़ान भर रहे विमानों के लिए व्यवहारिक नहीं है।'
गौतम ने कहा कि यह रास्ता केवल बुद्धा एयर के लिए ही सही है, न कि दूसरी एयरलाइन के लिए। उन्होंने कहा कि 28000 फुट के नीचे उड़ान भरना ऑपरेशन खर्च के लिहाज से व्यवहारिक नहीं है। ज्यादा ऊंचाई पर हवा कम होती है और इससे विमानों को घर्षण का सामना नहीं करना पड़ता है। यही वजह है कि इन विमानों का तेल कम खर्च होता है और पैसा बचता है। उन्होंने कहा कि पीएम प्रचंड ने बड़ा मौका गंवा दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि एक अच्छी पहल हुई है। भारत 'सीमा के नजदीक संचालन' के लिए सहमत हो गया है।
भारत-नेपाल विवाद का चीन कनेक्शन
संजीव गौतम ने कहा कि अगर मौसम की दिक्कत होगी और एयरपोर्ट नजदीक होंगे तो दोनों के नागरिक विमान एक-दूसरे के हवाई इलाके में जा सकेंगे। नेपाल के कुछ अधिकारियों ने यह भी कहा कि ये दोनों ही एयरपोर्ट भूराजनीति का शिकार हो गए हैं क्योंकि पोखरा एयरपोर्ट का निर्माण चीन के पैसे से किया गया है, वहीं भैरवा एयरपोर्ट को चीनी कंपनी ने बनाया है। उन्होंने कहा कि यह साफ है कि यह भूराजनीति का मामला है। बता दें कि भारतीय सीमा के बेहद करीब इन दोनों ही एयरपोर्ट को नेपाल के वामदलों की सरकारों ने चीन के साथ मिलकर बनवाया है। भारत इसका विरोध करता रहा है।