इस्लामाबाद: पाकिस्तान में महंगाई ने अपने सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए हैं। महंगाई की यह दर अब मई महीने में 38 फीसदी तक पहुंच गई है जो पाकिस्तान की आजादी के बाद सबसे ज्यादा है। पाकिस्तान में साल 1957 से महंगाई के आंकड़े रखे जा रहे हैं। पाकिस्तान में पिछले महीने महंगाई की दर 36.4 फीसदी थी। बताया जा रहा है कि खाद्यान की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी की वजह से महंगाई की दर में वृद्धि हुई है। इस बीच पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से लोन मिलने का रास्ता बंद हो गया है।
आईएमएफ ने शहबाज शरीफ की गुहार को भी खारिज कर दिया और लोन के अनुरोध को खारिज कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान के पास एक बार फिर से आईएमएफ से गुहार लगाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। पाकिस्तान में पिछले साल इसी मई के महीने में महंगाई की दर 13.76 फीसदी थी लेकिन अब यह अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। पाकिस्तान में शहबाज सरकार नए वित्त मंत्री इशाक डार को इस उम्मीद से लेकर आई थी कि वह महंगाई को रोकने में कामयाब होंगे और आईएमएफ से लोन दिलवाएंगे लेकिन वह पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं। श्रीलंका से महंगाई में आगे निकला पाकिस्तान
जिन्ना के सपनों का पाकिस्तान अब एशिया में सबसे ज्यादा महंगाई से जूझ रहा देश बन गया है। अब तक इस श्रीलंका में सबसे ज्यादा महंगाई थी लेकिन इसे पाकिस्तान ने पीछे छोड़ दिया है। पाकिस्तान में जहां महंगाई लगातार बढ़ रही है, वहीं श्रीलंका में अब पिछले 8 महीने से यह तेजी से नीचे आ रही है। मई में श्रीलंका में महंगाई की दर 25.2 फीसदी रही जो अप्रैल महीने में 35.3 प्रतिशत थी। इस बीच आईएमएफ से लोन का रास्ता बंद होने के बाद अब श्रीलंका की तरह से ही पाकिस्तान के डिफॉल्ट होने का खतरा मंडराने लगा है।
इस बीच पाकिस्तान की वित्त राज्य मंत्री आयशा गौस पाशा ने गुरुवार को कहा कि आईएमएफ पाकिस्तान को कर्ज देने के लिए अभी तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के पास आईएमएफ प्रोग्राम के अलावा और कोई भी प्लान बी नहीं है। उन्होंने माना कि आईएमएफ उनकी लगतार गुहार के बाद भी लोन देने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। पाकिस्तान को सऊदी अरब और यूएई ने 3 अरब डॉलर देने का वादा किया है लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी अब उनका पैसा नहीं मिला है। इससे पाकिस्तान की मुसीबत बढ़ती जा रही है।