रायपुर
दीपावली का त्यौहार आने वाला है। भारतीय संस्कृति में इस त्योहार की तैयारियों में साफ सफाई और लिपाई-पुताई का विशेष महत्व है। इसलिए इन दिनों टीवी और इंटरनेट पर इसके विज्ञापन भी खूब दिखाए जाते हैं। इनसे प्रभावित होकर कस्बों और गांवों में भी अब लोग अपने घरो में पेंट और डिस्टेंपर लगवाना चाहते हैं। पर बाजार में उपलब्ध रासायनिक पेंट लोगों के जेब के साथ साथ स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। रायपुर नगर निगम, जोन 8, जरवाय गौठान में गोवर्धन स्व सहायता समूह की महिलाएं इसी बात को ध्यान में रखकर गोबर से प्राकृतिक पेंट बना रही हैं। यह पेंट गुणवत्ता के मामले में बाजार के पेंट से कम नहीं है और साथ ही स्वास्थ्य के भी लाभदायक है।
यहां के गोबर से बने पेंट का उपयोग सबसे पहले रायपुर नगर निगम के भवन की
पुताई के लिए किया गया था। नगर निगम की बिल्डिंग की आकर्षक पुताई के लिए
500 किलो पेंट का उपयोग किया गया। सरकारी भवनों के अलावा आम लोगों के बीच
भी इस पेंट की मांग बढ़ रही है। अंबिकापुर में 120 लीटर और कोरबा में 70
लीटर पेंट का उपयोग स्थानीय लोगों ने किया है वहीं राजधानी में भी बहुत से
लोग इस पेंट से अपने घरों की पुताई कर चुके है।
जरवाय गौठान की स्व सहायता समूह की अध्यक्ष धनेश्वरी रात्रे बताती है की उनके समूह में 22 महिलाएं काम करती है। कुछ नया करने का सोच कर उन्होंने गोबर से पेंट बनाने का काम शुरू किया। गोबर से पेंट बनाने के लिए महिलाओं ने विधिवत प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। पेंट बनाने की शुरूआत अप्रैल 2022 से हुई और अब तक तीन हजार लीटर पेंट बनाकर समूह की महिलाएं बेच चुकी है। गोबर से निर्मित पेंट आधा लीटर, एक, चार, और दस लीटर के डिब्बों में उपलब्ध है।
बाजार में मिलने वाले अधिकतर पेंट में ऐसे पदार्थ और हैवी मेटल्स मिले होते है जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। वहीं गोबर से निर्मित पेंट प्राकृतिक पदार्थों से मिलकर बनता है इसलिए इसे प्राकृतिक पेंट भी कहते है। केमिकल युक्त पेंट की कीमत 350 रुपए प्रति लीटर से शुरू होती है पर गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट की कीमत 150 रुपए से शुरू है। गोबर से बने होने के कारण इसे बहुत से फायदे भी है जैसे यह पेंट एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल है साथ ही घर के दीवारों को गर्मी में गर्म होने से भी बचाती है और तापमान नियंत्रित करती है।
ऐसे तैयार होता है गोबर से प्राकृतिक पेंट
गोबर को पहले मशीन में पानी के साथ अच्छे से मिलाया जाता है फिर इस मिले
हुए घोल से गोबर के फाइबर और तरल को डी-वाटरिंग मशीन के मदद से अलग किया
जाता है। इस तरल को 100 डिग्री में गरम कर के उसका अर्क बनता है जिसे पेंट
के बेस की तरह इस्तेमाल किया जाता है। जिसके बाद इसे प्रोसेस कर पेंट तैयार
होता है। गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बोक्सी
मिथाइल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा
सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की
होती है। गोवर्धन स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित यह पेंट
महिलाओं की आय का जरिया तो है ही साथ ही महिलाओं की अलग पहचान बना रहा है।