नवाज शरीफ का हुआ था राजनीतिक उत्पीड़न... पाकिस्तान में सरकारी भाषा क्यों बोलने लगी अदालतें
Updated on
07-07-2023 07:33 PM
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की एक भ्रष्टाचार -निरोधक अदालत ने व्यवस्था दी है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 1986 के भ्रष्टाचार के एक मामले में राजनीतिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उनकी पार्टी ने बृहस्पतिवार को इस फैसले को उनकी बेगुनाही पर अदालती मुहर बताया। लाहौर की जवाबदेही अदालत ने बृहस्पतिवार को विस्तृत आदेश जारी कर सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग -नवाज (पीएमएल-एन) के सुप्रीमो नवाज शरीफ को भूखंडों के कथित अवैध आवंटन के 37 साल पुराने मामले में बरी कर दिया। यह मामला पंजाब प्रांत से जुड़ा है।
पिछले महीने इसी जवाबदेही अदालत ने 73 वर्षीय नवाज शरीफ को इस मामले में बरी कर दिया था। उन पर लाहौर में 'बेशकीमती सरकारी जमीन' रिश्वत के तौर पर देश के जाने-माने एक मीडिया उद्योगपति को दे देने का आरोप लगाया गया था। राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने आरोप लगाया था कि जंग ग्रुप के मालिक मीर शकील-उर-रहमान ने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवाज शरीफ के साथ मिलीभगत कर 54 भूखंडों की अवैध छूट हासिल कर ली थी।इमरान के कार्यकाल में नवाज पर दर्ज हुए थे केस
यह मामला 2020 में दर्ज किया गया था जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सत्ता में थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान कथित रूप से विपक्षी दलों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे। पाकिस्तान मुस्लिम लीग -नवाज ने अदालत के फैसले को नवाज की बेगुनाही तथा राजनीतिक उत्पीड़न का सबूत बताया। पार्टी प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, '' फैसला दर्शाता है कि उन्हें उनके विरोधियों ने प्रताड़ित किया तथा उनके विरूद्ध सभी मामले फर्जी आरोपों पर आधारित हैं।''