नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर चंदनपुरा-मेंडोरा-मेंडोरी बाघ भ्रमण क्षेत्र में पर्यावरणीय असंतुलन की जांच के लिए बनाई गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की है। इसमें कहा गया है कि यह संरक्षित वन नहीं है, इसलिए निर्माण की अनुमति दी गई।
हालांकि, सुनवाई में प्रस्तुत दस्तावेज बताते हैं कि 2022 में चंदनपुरा के 238.141 हेक्टेयर क्षेत्र को संरक्षित वन घोषित किया गया था, जहां निर्माण प्रतिबंधित है।
कमेटी का तर्क है कि यह क्षेत्र बाघ मूवमेंट जोन है, लेकिन इसे आधिकारिक तौर पर टाइगर रिजर्व या इको-सेंसिटिव जोन घोषित नहीं किया गया। वन अधिनियम, 1927 की धारा 29 के तहत संरक्षित करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई।
रातापानी अभयारण्य से यहां बाघ आते हैं। हालांकि, रातापानी अब टाइगर रिजर्व घोषित हो चुका है। शुक्रवार को ही यहां एक बाघ ने गाय का शिकार किया। वन विभाग ने इस क्षेत्र में आवाजाही रोक दी है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी।
आरोप... इकोलॉजी बदलेगी तो मौसम पर पड़ेगा असर
एनजीटी में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता राशिद नूर खान की ओर से यशदीप सिंह ने बताया कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की 2018 की रिपोर्ट में चंदनपुरा क्षेत्र को बाघों का प्रजनन क्षेत्र माना गया है। इसलिए बायपास में नेशनल पार्कों के बीच से बनने वाले हाईवे के मापदंडों का पालन किया जाए, ताकि वाइल्ड लाइफ कॉरिडोर प्रभावित न हो।
यह इलाका भोपाल के दक्षिण-पश्चिम में है, जहां से शहर में ताजा हवा का बहाव आता है, यदि इस इलाके की इकोलॉजी बदलेगी तो उसका असर पूरे शहर के मौसम पर पड़ेगा। रसूखदारों ने विवादित भूमि खरीदी है, जहां एक दर्जन से अधिक बाघ सक्रिय हैं। अगली सुनवाई 3 मार्च को होगी।
निर्माणों से बाघों की आवाजाही बंद होगी...
चंदनपुरा क्षेत्र को भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 29 के तहत 2021 में संरक्षित वन घोषित कर दिया गया था। रातापानी से बाघ यहां ब्रीडिंग के लिए आते हैं। पश्चिमी रिंगरोड परियोजना टाइगर कॉरिडोर को काट रही है। इससे बाघों की आवाजाही बंद हो जाएगी और प्रजनन स्थल दुर्गम हो जाएंगे।
समिति ने चंदनपुरा को संरक्षित वन मानने से इनकार किया, पढ़ें रिपोर्ट...
अधिसूचना पर : चंदनपुरा क्षेत्र को वन विभाग ने वृक्षारोपण के लिए राजस्व विभाग से लिया था, यह संरक्षित वन या संघटित वन अधिसूचित नहीं है।
टाइगर रिजर्व नहीं: यह क्षेत्र बाघ गलियारे के रूप में पहचान की गई जगहों में से एक है, लेकिन इसे आधिकारिक रूप से टाइगर रिजर्व नहीं घोषित किया।
बाघों की मौजूदगी: समिति ने माना कि यहां बाघों व अन्य वन्यजीवों की मौजूदगी है, लेकिन कानूनी तौर पर इसे संरक्षित वन का दर्जा देने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। यह रतनपुरा और सतपुड़ा से पूरी तरह नहीं जुड़ा है।