मध्यप्रदेश से गुजरने वाली पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट की आज से शुरुआत होगी। जयपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में एमपी, राजस्थान और केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के बीच त्रिस्तरीय एग्रीमेंट (एमओयू) होगा। इस कार्यक्रम में एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट मौजूद रहेंगे।
पीकेसी परियोजना से एमपी में चंबल से लेकर मालवा तक के 3150 गांवों की 6 लाख 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। एमपी के 11 जिलों- गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, राजगढ़, उज्जैन, आगर-मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर और मुरैना में पीने का पानी मिलेगा।
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ रुपए है। परियोजना से बनने वाले बांधों और जलाशयों की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। 172 मिलियन घन मीटर पानी, ग्रामीणों के लिए पीने और उद्योगों के लिए रिजर्व रहेगा।
21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना में मध्य प्रदेश से शुरू होने वाली पार्वती, कूनो, कालीसिंध, चंबल, शिप्रा और सहायक नदियों के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। कुल 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे।
श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्पलेक्स में 4 बांध (कटीला, सोनपुर, पावा और धनवाड़ी), 2 बैराज (श्यामपुर, नैनागढ़), कुम्भराज कॉम्पलेक्स में 2 बांध (कुम्भराज-1 और कुम्भराज-2), रणजीत सागर, लखुंदर बैराज और ऊपरी चंबल कछार में 7 बांध (सोनचिरी, रामवासा, बचेरा, पदुनिया, सेवरखेडी, चितावद, सीकरी सुल्तानपुरा) बनेंगे। इसके अलावा गांधी सागर बांध की अपस्ट्रीम में चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदियों पर छोटे-छोटे बांधों का निर्माण भी प्रस्तावित है।
5 साल में पूरा होगा काम केंद्र सरकार के सहयोग से बनने वाली इस परियोजना का काम अगले 5 साल में पूरा कर लिया जाएगा। 75 हजार करोड़ के खर्च में से 90% केंद्र जबकि 10% एमपी और राजस्थान सरकार देंगी। इसमें बैलेंसिंग रिजर्वायर का निर्माण प्रस्तावित है।
इसके साथ ही परियोजना में मध्य प्रदेश, राजस्थान के बीच मौजूदा चंबल दाईं मुख्य नहर (CRMC) और मध्य प्रदेश क्षेत्र में CRMC सिस्टम के अंतिम छोर तक मॉर्डनाइजेशन और रीन्यूअल के लिए प्रावधान किया गया है। इससे एमपी के श्योपुर, मुरैना, भिंड जिलों को सिंचाई और पीने के लिए पानी मिलेगा।