एक आईएएस अफसर वह व्यक्ति है, जो मंत्रियों की प्लान की गई योजनाओं को धरातल तक लेकर जाता है। सुबह से लेकर रात तक बिना थके योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में लगा रहता है। लेकिन एक आईएएस की पावर भी उतनी ही ज्यादा होती है। कैसे एक आईएएस योजनाओं को धरातल पर लाता है।
कैसे वह मृत्यु के बाद भी इंद्र का सिंहासन पा लेता है और नर्क जाने से बच जाता है। इसकी कहानी खुद सीएम डॉ. मोहन यादव शुक्रवार को प्रशासन अकादमी में आयोजित आईएएस मीट के शुभारंभ अवसर सुनाई।
एक अच्छे काम की बदौलत स्वर्ग मिला तो अपनी रिसर्च की बदौलत इंद्र से सिंहासन छीना
एक बार एक आईएएस मृत्यु के बाद ऊपर भगवान के पास पहुंचता है। तय किया जाता है कि उसने क्योंकि पूरी जिंदगी खराब काम ही किए हैं। इसलिए उसे नर्क भेज दिया जाए। इस बीच, आईएएस ऑफिसर बताता है कि उसने एक काम अच्छा भी किया है। इसके लिए उसे स्वर्ग भी मिलना चाहिए।
बहीखाता फिर से पलटा जाता है और तय होता है कि उसे इस एक अच्छे काम के लिए एक घड़ी स्वर्गलोक में बिताने का मौका दिया जाए। बाकी समय नर्क में ही रहना पड़ेगा। लेकिन, वह व्यक्ति आखिरकार आईएएस अफसर था। स्वर्ग में जाने के पहले उसने सारी जानकारी जुटाई। वहां क्या-क्या पावर मिलेंगे और किस तरह के नियम चलते हैं।
पता चला कि स्वर्ग में आप जो चाहो, वह मिलेगा। कभी मना नहीं किया जा सकता। स्वर्ग पहुंचकर आईएएस ने पूछा कि यहां का सबसे पावरफुल व्यक्ति कौन है? पता चला- इंद्र है। आईएएस उनसे मिलने जा पहुंचा। इंद्र से पूछा- यहां जो मांगा जाए मिलता है? इंद्र ने भी हामी भरी।
आईएएस ने कहा- हां, मांगकर देख लो। अफसर ने तुरंत कहा- मुझे आपका सिंहासन चाहिए...। इंद्र मुकर गए तो सबने समझाया, नियम है तो देना तो पड़ेगा। एक घड़ी की बात है, दे दो। इंद्र ने जैसे ही स्वर्ग का सिंहासन आईएएस अफसर को दिया, तो उसने पूरा का पूरा स्वर्ग ही दान दे दिया।
अब तो पूरे ब्रह्मांड में चर्चा हो गई, इतना बड़ा दानी तो आज तक कोई नहीं हुआ, जिसने स्वर्ग ही दान कर दिया हो। बस, फिर क्या था वह आईएएस इसके बाद स्वर्ग से कभी नर्क नहीं गया। यह कहानी बताती है कि एक आईएएस धरती ही नहीं स्वर्ग में भी निगेटिव परिस्थितियों को पॉजिटिव करने की ताकत रखता है।