जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ने कोलेंग में स्थित सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन कैंप में कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन के विषय पर एक दिनी कार्यक्रम किया। इस दौरान जवानों को कार्यस्थल पर होने वाले तनाव और उसके उचित प्रबंधन सहित नशे से होने वाले शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई। डीएमएचपी टीम की डॉ. रुखसार खान ने बताया कि जिले में स्पर्श क्लिनिक के माध्यम से कार्यस्थल पर तनाव का प्रबंधन एवं मानसिक अस्वस्थता के दुष्परिणाम के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
तनाव के बढ़ने से अवसाद की स्थिति निर्मित होती है। जब भी अवसाद अपनी चरम सीमा पर होता है तब व्यक्ति स्वयं को अकेला करने लग जाता है, उसे अपना जीवन अंधकारमय लगने लगता है, उम्मीद की कोई भी किरण नजर नहीं आती। कई बार मन में नकारात्मक विचारों के कारण गलत कृत्य करने की भावना भी जागृत हो जाती है इसलिए हमें समय रहते अपने तनाव का प्रबंधन करना बहुत जरूरी हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ एम.के. शर्मा (आयुष मेडिकल ऑफिसर), कमांडेंट ऑफिसर, सब कमांडेंट ऑफिसर, पूनम वर्मा और मोनिका का विशेष सहयोग रहा।
तनाव को दूर करने के बताए उपाय
कम्युनिटी साइकोलॉजिस्ट रूपेश मसीह ने उपस्थित जवानों को द नंबर गेम, ब्लो द बेलून, हैंडलिंग बॉटल के माध्यम से तनाव, तनाव के कारण, तनाव का शरीर और मन पर प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नंबर गेम तनाव की स्थिति को समझने के लिए होता है। हैंडलिंग बॉटल अर्थात बोतल को संभालना इससे तनाव के संकेतों और लक्षणों को समझना होता है। इसके अतिरिक्त ब्लो द बलून तकनीक से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक व नकारात्मक दृष्टिकोण को समझकर उनके तनाव को दूर करना होता है।