मॉस्को : वैगनर ग्रुप के विद्रोह को कुचलने के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर नजर आने जा रहे हैं। पुतिन शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। रूसी राष्ट्रपति मंगलवार को इसमें शामिल होंगे क्योंकि मेजबान भारत ने मई में घोषणा की थी कि शिखर सम्मेलन का आयोजन ऑनलाइन किया जाएगा। ईरान भी इसमें पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में भाग लेगा। अपने पूर्व सहयोगी येवगेनी प्रिगोझिन के विद्रोह को विफल करने के बाद अब सभी की नजरें पुतिन पर हैं।पिछले महीने विद्रोह के दौरान वैगनर ग्रुप ने दो रूसी शहरों में कुछ सैन्य सुविधाओं पर कब्जे का दावा किया था और बड़ी संख्या में लड़ाके मॉस्को की ओर बढ़ रहे थे। विद्रोह को देखते हुए क्रेमलिन ने रूसी राजधानी की सड़कों पर भारी हथियारों से लैस सैनिकों को तैनात कर दिया था। यह नजारा ऐसा था कि मानों देश में गृहयुद्ध शुरू होने वाला है। रूसी अधिकारियों और वैगनर चीफ के बीच एक समझौते के बाद विद्रोह खत्म हो गया और प्रिगोझिन को पड़ोसी देश बेलारूस भेज दिया गया।'सबसे शक्तिशाली को भी विद्रोह का खतरा'
अमेरिका स्थित थिंक टैंक रैंड कॉर्पोरेशन के वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहा, 'अगर पुतिन वाकई में इस विद्रोह से हिल गए हैं तो इससे उन्हें यह पता चल जाएगा कि सबसे मजबूत व्यक्ति भी अपने देशों के भीतर संभावित विद्रोह से सुरक्षित नहीं हैं।' एससीओ की यह मीटिंग क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग बढ़ाने, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने, जलवायु परिवर्तन से लड़ने और तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर केंद्रित है।
वैगनर चीफ ने तोड़ी चुप्पी
पिछले हफ्ते एक असफल विद्रोह का नेतृत्व करने और फिर बेलारूस में शरण लेने के बाद वैगनर चीफ प्रिगोझिन ने पहली बार कोई बयान दिया है। टेलीग्राम पर शेयर एक वॉइस मैसेज में उन्होंने अपने समर्थकों का धन्यवाद दिया। प्रिगोझिन ने कहा कि उनका उद्देश्य देशद्रोहियों के खिलाफ लड़ना और समाज को एकजुट करना था। वैगनर चीफ ने कहा कि आने वाले समय में आप मोर्चों पर हमारी अगली जीत को देखेंगे।