मॉस्को: रूस और भारत पिछले छह दशक से मजबूत रणनीतिक साझीदार हैं। लेकिन यूक्रेन की जंग ने इन दोनों के रिश्तों पर भी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अब जो खबरें आ रही हैं उसके मुताबिक रूस हो सकता है भारत से अपने हथियार वापस मांग ले। निक्केइ एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस, म्यांमार और भारत से अपने हथियारों को वापस मांगने पर विचार कर रहा है। अगर ऐसा होता है और यह रिपोर्ट सच साबित होती है तो फिर भारत और रूस के रिश्ते सबसे कठिन दौर में पहुंच सकते हैं। रूस की तरफ से म्यांमार और भारत को भारी संख्या में टैंक्स और मिसाइलें दी गई हैं। रूस, यूक्रेन में उपयोग के लिए निर्धारित पुराने हथियारों को बेहतर बनाने के लिए फिर से उनका आयात कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस उन्हीं देशों से ये हथियार वापस मांगेगा जिनके साथ उसके लंबे समय से सैन्य संबंध हैं।
रूस पर लगा बैनफरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और जापान ने रूस को संभावित सैन्य प्रयोग वाले सामानों का निर्यात करने से बैन कर दिया था। अमेरिकी रिसर्च कंपनी इम्पोर्टजेनियस, भारत के एक्जिम ट्रेड को मिले आंकड़ों के बाद रूस के टैंकों और मिसाइलों जैसे आयातित हथियारों के रिकॉर्ड की जांच की गई। इसके मुताबिक यूरालवैगनजावॉड (UralVagonZavod), जो रूसी सेना के लिए टैंक बनाने वाली कंपनी है उसने नौ दिसंबर, 2022 को 24 मिलियन डॉलर के साथ म्यांमार सेना से सैन्य उत्पादों का आयात किया। ब्रिटिश थिंक टैंक मिलिट्री बैलेंस की एक सालाना रिपोर्ट के मुताबिक रूस के पास करीब 5000 टैंक हैं। ब्रसेल्स स्थित थिंक इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप से जुड़े रूस के विश्लेषक ओलेग इग्नाटोव ने कहा, 'रूस के पास स्टोर में बहुत पुराने टी -72 टैंक हैं, जिन्हें आधुनिकीकरण की जरूरत है। बाद में इन टैंकों को फ्रंट लाइन पर भेजा जा सकता है।'
भारत तीसरा सबसे बड़ा खरीददार
रूस बड़े पैमान पर टी-72 टैंकों का प्रयोग कर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के मुताबिक रूस हथियारों का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत इसका सबसे बड़ा ग्राहक है। पिछले एक दशक में रूस की तरफ से भारत को 35 फीसदी हथियार निर्यात किए गए हैं। सिपरी के मुताबिक भारत के बाद चीन और अल्जीरिया ने रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदे। चीन ने 15 फीसदी तो अल्जीरिया ने 10 फीसदी रूसी हथियार अपनी सेनाओं के लिए खरीदे।
ब्रिटिश थिंक टैंक मिलिट्री बैलेंस की एक सालाना रिपोर्ट के मुताबिक रूस के पास करीब 5000 टैंक हैं। ब्रसेल्स स्थित थिंक इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप से जुड़े रूस के विश्लेषक ओलेग इग्नाटोव ने कहा, 'रूस के पास स्टोर में बहुत पुराने टी -72 टैंक हैं, जिन्हें आधुनिकीकरण की जरूरत है। बाद में इन टैंकों को फ्रंट लाइन पर भेजा जा सकता है।'
भारत तीसरा सबसे बड़ा खरीददार
रूस बड़े पैमान पर टी-72 टैंकों का प्रयोग कर रहा है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के मुताबिक रूस हथियारों का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। भारत इसका सबसे बड़ा ग्राहक है। पिछले एक दशक में रूस की तरफ से भारत को 35 फीसदी हथियार निर्यात किए गए हैं। सिपरी के मुताबिक भारत के बाद चीन और अल्जीरिया ने रूस से सबसे ज्यादा हथियार खरीदे। चीन ने 15 फीसदी तो अल्जीरिया ने 10 फीसदी रूसी हथियार अपनी सेनाओं के लिए खरीदे।
क्या वाकई मिलेगा सहयोग
न तो केबीएम और न ही भारतीय मंत्रालय की तरफ से इस पर कोई टिप्पणी की गई है। पिछले दिनों जापान के हिरोशिमा में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में नेताओं ने रूस को मिल रहे सैन्य समर्थन को खत्म करने के लिए कहा है। टोक्यो स्थित हितोत्सुबाशी यूनिवर्सिटी में हथियार नियंत्रण पर रिसर्च करने वाले प्रोफेसर नोबुमासा अकियामा ने कहा, 'लेकिन उन देशों से सहयोग हासिल करना मुश्किल है, जो रूसी निर्मित हथियारों पर भरोसा करते हैं।'