एम्स भोपाल के चिकित्सकों ने 30 साल के मरीज की जान बचाने के लिए 36 से 40 घंटे तक सतत निगरानी की। यह मध्य प्रदेश के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार हुआ, जब कैथलैब का इस्तेमाल ऑपरेशन थियेटर की तरह किया गया। इस जटिल सर्जरी के दौरान चार विभागों के कुल 11 डॉक्टर मौजूद रहे। डॉक्टरों की यह कोशिश सफल रही और मरीज अब स्थिर है।
एम्स से मिली जानकारी के अनुसार, यहां मरीज की हृदय की महाधमनी (एंडोवैस्कुलर एओर्टिक आर्क) को रिपेयर किया गया। यह एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें मरीज की जान को बहुत खतरा रहता है।
ये थी मरीज को समस्या
मरीज दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ था। उसके हृदय में चोट लगने के कारण महाधमनी में एक थैली (एन्यूरिज्म) बन गई थी। इसके साथ ही, मरीज के लिवर और किडनी भी चोटिल थे। एक कूल्हा फ्रैक्चर हो गया था और शरीर में कई जगह फ्रैक्चर थे। हालांकि, महाधमनी में बनी थैली सबसे गंभीर थी। यदि मरीज का ब्लड प्रेशर थोड़ा भी बढ़ता, तो थैली फट सकती थी और उसकी मौत हो सकती थी।
4 विभागों के 11 डॉक्टर रहे शामिल कैथलैब में चले प्रोसीजर के दौरान एम्स के चार विभागों के कुल 11 डॉक्टर सहित कई सहायक भी मौजूद थे।
इनमें कार्डियोथोरेसिक विभाग से डॉ. योगेश निवारिया, डॉ. एम किशन, डॉ सुरेंद्र यादव, डॉ. राहुल शर्मा, डॉ. विक्रम वट्टी, डॉ. आदित्य सिरोही हैं।
कार्डियोलॉजी विभाग से डॉ.भूषण शाह, डॉ. आशीष जैन और डॉ. सुदेश प्रजापति थे।
एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. नागभूषणम और डॉ. प्रतीक।
शल्य चिकित्सा टीम में परफ्यूजनिस्ट सुषमा और वेदांत। नर्सिंग टीम से ललित पल्लवी। हृदय रोग तकनीशियन संजय और राहुल का भी इस शल्य क्रिया में योगदान रहा।