भोपाल के हमीदिया अस्पताल में वार्ड बॉय, कंप्यूटर ऑपरेटर और हाउस कीपिंग स्टाफ मंगलवार सुबह से फिर हड़ताल पर बैठ गए हैं। दरअसल, हफ्ते भर पहले 10 दिसंबर को 500 से अधिक वार्ड बॉय और टेक्नीशियन हड़ताल पर थे। सुबह 7 बजे से सभी कर्मचारी अस्पताल के सामने धरने पर बैठे थे।
हड़ताल के चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों के परिजन खुद ही व्हील चेयर और स्ट्रेचर धकाते नजर आए।
हमीदिया अस्पताल के वार्ड बॉय, लैब टेक्नीशियन और हाउस कीपिंग स्टाफ को पिछले 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है। इसके चलते स्टाफ ने मंगलवार सुबह से फिर से हड़ताल कर दी है। हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने बताया कि 3 महीने से सैलरी नहीं दी गई है। वह लगातार कंपनी और अस्पताल के अधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं। उसके बाद भी उन्हें तनख्वाह नहीं दी जा रही है। उनका कहना है कि हम लोगों को घर बार के खर्च चलाने में भारी परेशानी हो रही है। अगर हमें जल्द सैलरी नहीं दी गई तो हम यहां से कलेक्टर ऑफिस तक रैली निकाल कर प्रदर्शन करेंगे।
इससे पहले बीते सोमवार को हड़ताल पर बैठे वार्ड बॉय ने बताया था कि हमने डीन मैडम से मुलाकात की है। उन्होंने शुक्रवार तक सैलरी और बोनस देने का आश्वासन दिया है। अगर शुक्रवार तक हमारी सैलरी नहीं आई तो हम लोग सोमवार को फिर से हड़ताल करेंगे। ऐसे में कर्मचारियों द्वारा पहली हड़ताल में दी गई डेडलाइन खत्म हो गई है।
बता दें, हमीदिया अस्पताल में रोज 2500 से अधिक की ओपीडी रहती है। वहीं, 60 से अधिक ऑपरेशन होते हैं। हड़ताल के कारण इन सेवाओं पर असर पड़ सकता है।
कर्मचारियों का कहा था कि दिवाली के समय तीन महीने की सैलरी बड़ी मुश्किल से दी गई थी। अब फिर से दो महीने का वेतन रोक दिया गया है। महंगाई के इस दौर में वैसे भी 8 हजार रुपए महीना मानदेय दिया जा रहा है। इसमें भुगतान में देरी हो रही है।
इसलिए नहीं मिल रही सैलरी
गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) ने एजाइल कंपनी को पिछले तीन महीने से पेमेंट नहीं किया है। कंपनी का कहना है कि जीएमसी पर 15 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम बकाया हैं।
इस वजह से कंपनी ने कर्मचारियों की सैलरी रोक दी है। दो महीने पहले कर्मचारियों की हड़ताल के बाद कंपनी को 1 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था, जिससे सैलरी जारी की गई थी। हालांकि, उस समय दिवाली बोनस नहीं दिया गया। इससे पहले इन कर्मचारियों ने तीन से चार बार कंपनी को पत्र लिखकर शिकायत की थी। पत्र के जवाब में कंपनी ने सिर्फ आश्वासन दिया था।