मॉस्को: रूस और यूक्रेन का युद्ध साल भर से भी ज्यादा समय से चल रहा है। पुतिन की सेना को इसमें भारी नुकसान हुआ है। रूसी सेना के पास हथियारों की कमी देखने को मिल रही है। इस बीच खबर है कि रूस ने अपने 70 साल पुराने सोवियत जमाने के टैंक को युद्ध में तैनात कर दिया है। सुनने में आपको ये बेवकूफी भरा कदम लग रहा होगा। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह असरदार हो सकता है। हाल ही में ऐसे वीडियो सामने आए हैं, जिसमें कार्गो ट्रेन पर पुराने टैंक लदे हुए दिख रहे हैं।
ये टी-55 टैंक हैं, जिसे रूस ने 1948 में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद कमीशन किया था। रूस में अगर आज आप इन्हें देखना चाहें तो उसके लिए म्यूजियम में जाना पड़ेगा। वीडियो को एक महिला ने रिकॉर्ड किया है। ट्रेन को शूट करते हुए वह कहती है, 'वाह, ये दूसरी ट्रेन है। इससे पहली ऐसी ही एक और ट्रेन जा चुकी है।' वीडियो मार्च के अंत में बनाया गया था। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक इतिहासकार जॉन डेलाने ने कहा कि यह शीत युद्ध के दौरान सोवियत यूनियन की ओर से इस्तेमाल किया जाने वाला प्रमुख टैंक था।
अब तक का सबसे ज्यादा निर्मित टैंक
डेलाने ने कहा रेड आर्मी के लिए T-55 सबसे प्रमुख टैंक था। बाद में इसके अन्य संस्करण बने जो दुनिया में अब तक सबसे ज्यादा संख्या में निर्मित टैंक हैं। ऐसे एक लाख से ज्यादा टैंक बनाए गए थे। ये सस्ते, विश्वसनीय, इस्तेमाल और मेंटीनेंस में आसान थे। लेकिन बाद में पश्चिमी देशों के टैंकों से इनका कोई मुकाबला नहीं रहा। उन्होंने कहा कि प्रथम खाड़ी युद्ध में 1991 में अमेरिकी और ब्रिटिश टैंक इराकी T55s को 23 किमी दूर से ही ध्वस्त कर देते थे।
रूस ने क्यों उतारे पुराने टैंक
डेलाने का कहना है कि सोवियत कुछ भी फेंकते नहीं हैं। संभव है कि बड़ी संख्या में टैंक अभी भी कहीं रखे हों। अप्रैल में रिपोर्ट्स आई थी कि यह टैंक सीमा के करीब देखे गए हैं। यूक्रेन के दावे के मुताबिक युद्ध की शुरुआत से अब तक रूस के 3,700 से ज्यादा टैंक बर्बाद हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस लगातार T-90 टैंक का निर्माण कर रहा है। इन टैंकों को बनाने में समय लग रहा है, जिस कारण रूस ने पुराने टैंक तैनात किए हैं। डेलाने ने कहा कि यूक्रेन के जवाबी हमले का जवाब देने के लिए अगर इनका इस्तेमाल स्टैटिक डिफेंसिव पोजिशन के लिए किया जाए तो बेहतर होगा। यह आधुनिक टैंक की अपेक्षा इस्तेमाल में आसान है, हालांकि हर बार रूस को ही नुकसान उठाना पड़ेगा।