अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान पर लंबी दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइलें बनाने का आरोप लगाया। मिसाइल प्रोग्राम से जुड़ी पाकिस्तान की 4 कंपनियों पर बैन लगाया है। इनमें पाकिस्तान की सरकारी एयरोस्पेस और डिफेंस एजेंसी, नेशनल डेवलपमेंट कॉम्पलेक्स (NDC) भी शामिल है।
पाकिस्तान बोला- शांति के लिए बना रहे थे बैलिस्टिक मिसाइलें
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को अमेरिका के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण और पक्षपाती बताया है। मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी बैन से हमारी क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान पहुंचेगा।
ये प्रोग्राम पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करने और दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी था।
पाकिस्तान के खिलाफ जारी रहेगी अमेरिीकी कार्रवाई
न्यूज एजेंसी ANI ने अमेरिका के हवाले से बताया कि बैन की गई चारों कंपनियां पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए जरूरी टूल मुहैया करा रही थीं। अमेरिका आगे भी इस तरह की एक्टिविटी के खिलाफ एक्शन लेता रहेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक पाकिस्तान की शाहीन-सीरीज बैलिस्टिक मिसाइलें NDC की मदद से ही तैयार की गई हैं। इसके अलावा कराची की अख्तर एंड संस प्राइवेट कंपनी पर आरोप है कि उसने मिसाइल से जुड़ी मशीनों को खरीदने में NDC की मदद की है।
वहीं, एक और पाकिस्तानी कंपनी रॉकसाइड इंटरप्राइज और एफिलिएट इंटरनेशनल पर भी पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम में सहयोग करने का आरोप है।
इससे पहले इसी साल अप्रैल में अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम के लिए तकनीक सप्लाई करने पर चीन की 3 कंपनियों पर बैन लगा दिया था। इस लिस्ट में बेलारूस की भी एक कंपनी शामिल थी।
कितनी ताकतवर है पाकिस्तान की शाहीन बैलिस्टिक मिसाइल
नवबंर 2019 में पाकिस्तान ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम शाहीन-1 मिसाइल का परीक्षण किया था। इसकी रेंज 650 किमी तक है। ये सभी तरह के हथियार ले जा सकती है। इसके अलावा पाकिस्तान शाहीन-2 और शाहीन-3 मिसाइल का परीक्षण भी कर चुका है।
80 के दशक में शुरू हुआ पाकिस्तान का मिसाइल प्रोग्राम
पाकिस्तान ने 1986-87 में अपने मिसाइल प्रोग्राम हत्फ की शुरुआत की थी। भारत के मिसाइल प्रोग्राम का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के नेतृत्व में इसकी शुरुआत हुई थी।
हत्म प्रोग्राम में पाक रक्षा मंत्रालय को फौज से सीधा समर्थन हासिल था। इसके तहत पाकिस्तान ने सबसे पहले हत्फ-1 और फिर हत्फ-2 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया था। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, हत्फ-1 80 किमी और वहीं हत्फ-2 300 किमी तक मार करने में सक्षम थी।
यह दोनों मिसाइलें 90 के दशक में सेना का हिस्सा बनी थी। इसके बाद हत्फ-1 को विकसित कर उसकी मारक क्षमता को 100 किलोमीटर बढ़ाया गया। 1996 में पाकिस्तान ने चीन की मदद से बैलिस्टिक मिसाइल की तकनीक हासिल की।
फिर 1997 में हत्फ-3 का सफल परीक्षण हुआ, जिसकी मार 800 किलोमीटर तक थी। साल 2002 से 2006 तक भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा मिसाइलों की टेस्टिंग की थी।