राज्य शासन ने वर्ष-2025 तक छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश में मोतियाबिंद पीड़ित चार लाख लोगों को चिन्हांकित किया गया है। सभी जिलों में इसके आॅपरेशन की शुरूआत भी हो चुकी है। स्वास्थ्य कार्यकतार्ओं, मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं द्वारा दृष्टिदोष रोगियों की सूची तैयार की जा रही है। नेत्र सहायक अधिकारियों के माध्यम से चयनित विकासखंडों में तैयार सूची के आधार पर रोगियों की पुष्टि कर मोतियाबिंद का आॅपरेशन किया जा रहा है।
माना सिविल अस्पताल में आंखों की जांच, इलाज और आॅपरेशन की बेहतर सुविधाएं विकसित की गई हैं। यहां मरीजों के लिए 100 बिस्तरों की व्यवस्था है। अस्पताल में अब तक एक हजार एक मरीजों के आंखों का सफल आॅपरेशन किया जा चुका है। इनमें से 202 मरीज डायबिटिज व हाइपरटेंशन से भी पीड़ित थे जिसे नियंत्रित करने के बाद आॅपरेशन किया गया। यहां मोतियाबिंद से पीड़ित 90 साल के बुजुर्ग का भी सफल आॅपरेशन किया गया है। अस्पताल में आंखों के उपचार के लिए निकट भविष्य में और भी सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
अंधत्व निवारण कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता मुक्त राज्य बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। मोतियाबिंद के उपचार की अत्याधुनिक फेको तकनीक के माध्यम से पीड़ितों का उपचार किया जा रहा है। आॅपरेशन की इस विधि में आंख में महज एक बारिक छेद किया जाता है, जिसके माध्यम से मोतिया को आंख के अंदर ही घोल दिया जाता है। इस छेद के जरिए ही फोल्डेबल लेंस को आंख के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि आंखों की जांच और आॅपरेशन के लिए माना सिविल अस्पताल में अभी छह सर्जन सहित कुल 35 लोगों की टीम काम कर रही है। यहां सोमवार को ग्लाकोमा, गुरूवार को रेटिना और शनिवार को बच्चों में आंख की बीमारी की विशेष जांच की जाती है। रेटिना संबंधी विकारों के लिए ग्रीन लेज? की सुविधा भी अस्पताल में उपलब्ध है। माना में रायपुर जिले के साथ ही अन्य जिलों के 22 नेत्र रोगियों का भी आॅपरेशन किया जा चुका है। मरीजों को लाने व ले जाने की नि:शुल्क सुविधा अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है। आॅपरेशन के बाद मरीजों के नियमित फॉलो-अप के साथ नि:शुल्क दवा और चश्मा भी प्रदान किया जा रहा है।