मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बिक्री करने वाले किसानों का 924 करोड़ 28 लाख रुपए का भुगतान राज्य सरकार अब तक नहीं कर सकी है। किसानों से 5 लाख 89 हजार मीट्रिक टन सोयाबीन खरीद चुकी सरकार ने अब तक 1958.1 करोड़ रुपए का पेमेंट किया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास में सोयाबीन खरीदी की समीक्षा की। कहा-
प्रदेश में सोयाबीन फसल की खरीदी जारी रखेगी। सभी सोयाबीन उत्पादक किसानों से खरीदी कर उन्हें जल्द से जल्द भुगतान भी किया जाए। खरीदी के दौरान किसानों को किसी भी प्रकार की कठिनाई या बारदाने की समस्या न आने पाए। खरीदे गए सोयाबीन का उठाव और भंडारण विधिवत तरीके से हो और उपज को ओला-पाला एवं बारिश से बचाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोयाबीन के अलावा किसानों को दलहन और तिलहन फसलों के उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए किसानों के साथ चर्चा कर योजना बनाई जाएगी। उद्यानिकी फसलों के उत्पादन में अधिक लाभ है। इसलिए किसानों को उद्यानिकी फसलों की ओर प्रवृत्त किया जाए। बैठक में सचिव किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने जानकारी दी कि प्रदेश में सोयाबीन उपार्जन 25 अक्टूबर से किया जा रहा है जो 31 दिसम्बर तक चलेगा।
अब तक 1957.1 करोड़ का ही हुआ है भुगतान
26 दिसंबर तक 2 लाख 4 हजार किसान अपना सोयाबीन बेच चुके हैं। इन किसानों से 5 लाख 89 हजार मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा गया है। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4 हजार 892 रुपए प्रति क्विंटल है। किसानों को 1957.1 करोड़ रुपए का भुगतान अब तक किया जा चुका है। आगामी 31 दिसंबर तक करीब साढ़े 6 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदने का अनुमान है।
प्रदेश में भोपाल संभाग में सर्वाधिक 180198.04 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा गया है। उज्जैन संभाग में 149974.54 लाख मीट्रिक टन, सागर संभाग में 93495.33 लाख मीट्रिक टन एवं नर्मदापुरम संभाग में 93287.44 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा गया है।
धान बेचने वाले किसानों का पेमेंट जल्द करें
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जिन किसानों का धान खरीद लिया गया है, उन्हें जल्द भुगतान किया जाए। इसमें ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौसम को देखते हुए खुले में पड़े धान का जल्द से जल्द परिवहन कराएं और इसे बारिश से बचाएं। गोडाउन परिसर में भी यदि खरीदा गया धान खुले में रखा है तो उसे जल्द से जल्द अंदर रखवा लिया जाए।
खराब मौसम की आशंका को देखते हुए खरीदी गई धान को बारिश से बचाने के लिए समितियां तत्काल तिरपाल आदि से खुले में पड़े धान को ढंक लें। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि वे किसानों से यह आग्रह करें कि मौसम को देखते हुए वे कुछ दिन रुककर या मौसम साफ होने पर ही अपना धान बेचने के लिए लेकर आएं। मौसम यदि ज्यादा दिन तक खराब रहता है तो सरकार धान उपार्जन की तय अवधि बढ़ाने पर भी विचार करेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों से कहा कि वे धान मिलर्स को निर्देशित करें कि वे भी अपने धान का जल्द से जल्द उठाव करा लें। उन्होंने नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों से कहा कि वे खरीदा गया धान का तत्काल परिवहन कराकर इन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाएं और आवश्यकतानुसार प्रबन्ध करें।
प्रमुख सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति द्वारा बताया गया कि इस वर्ष 7.72 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है, जो गत वर्ष 2023-24 (7.27 लाख) की तुलना में अधिक है। इस वर्ष प्रदेश में 1393 धान उपार्जन केंद्र बनाए हैं, जिसमें अब तक 22.86 लाख मीट्रिक धान का उपार्जन हो चुका है। अब तक 3.48 लाख किसान अपना धान बेच चुके हैं। जिन किसानों से उपार्जन हो चुका है, उन्हें न्यूनतम समय में भुगतान की व्यवस्था की जा रही है।
26 दिसंबर तक 45 लाख मीट्रिक टन धान कॉमन (ग्रेड ए श्रेणी का) उपार्जित किया जा चुका है। जिन किसानों से धान उपार्जन किया है, उन्हें उपार्जन मूल्य के रूप में 1,961 करोड़ रूपए का भुगतान किए जा चुके हैं। प्रदेश में बारदाने की कोई कमी नहीं है। उपार्जित धान का परिवहन और भंडारण भी समुचित तरीके से किया जा रहा है। प्रदेश में कुल 674 अनुबंधित मिलर्स हैं। इनके द्वारा अब तक 3.36 लाख मीट्रिक टन उपार्जित धान का उठाव कर लिया गया है।
किसानों को एसएमएस में माध्यम से सूचित किया जा रहा है कि आगामी 30, 31 दिसंबर और एक जनवरी को धान की खरीदी स्थगित रहेगी। धान खरीदी की अंतिम तिथि 20 जनवरी से बढ़ाकर 23 जनवरी कर दी गई है। जिन किसानों के स्लॉट धान विक्रय के लिए बुक थे, उसकी अवधि 5 दिन बढ़ा दी गयी है। उन्हें पुन: स्लॉट बुक करने की जरूरत नहीं है।