सीएम मॉनिट की बैठक में सामने आए आंकड़े:5 दिन में काम होने के लिए सीएम ऑफिस से चली 461 ‘ए+’ फाइलें अफसरों ने रोकी

Updated on 09-12-2024 12:30 PM

बजट नहीं है... यह काम नहीं हो सकता... केंद्र सरकार से जुड़ा है... दो माह पहले ही तबादला किया था, जहां ट्रांसफर होना है वहां पद नहीं हैं, जिलों के परिसीमन के बाद ही कुछ हो पाएगा...। ऐसे कई कारण गिनाकर विभागों ने सीएम डॉ. मोहन यादव की घोषणाओं, प्राथमिकता वाले कामों व ट्रांसफर वाली ‘ए+’ और ‘ए’ की 2089 फाइलें दबा दी। इनमें ‘ए+’ की 461 फाइलें हैं।

यह खुलासा हाल में ‘सीएम मॉनिट’ (मुख्यमंत्री कार्यालय की मॉनिटरिंग) की एक बैठक के दौरान सामने आए आंकड़ों से हुआ। सर्वाधिक मामले गृह विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, सामान्य प्रशासन (कार्मिक), नगरीय विकास, पीडब्ल्यूडी, स्कूल शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग में लंबित हैं।

अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर सीएम मॉनिट का हर माह रिव्यू होता है। इसमें ऐसे मसले होते हैं, जिन्हें सीएम प्राथमिकता में मानते हैं। हर नए सीएम की शपथ के साथ मॉनिटरिंग की शुरुआत होती है। बताते हैं कि मई 2024 तक कोई रिव्यू नहीं हुआ। अगस्त से मॉनिटरिंग की बैठकें होने लगीं। अभी तक 3 बैठक हुई हैं। 29 नवंबर को प्रस्तावित बैठक में जब विभागों से जानकारी मांगी गई तो 2000 मामले पेंडिंग मिले।

हर माह आते हैं 200 मामले ए+ और ए, वाली नोटसीट या फाइल हर माह 200 के करीब होती है। इसीलिए व्यवस्था है कि हर माह सीएम ऑफिस रिव्यू करेगा।

ए+ लिखने का अधिकार किसको सीएम के अलावा मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ सचिव या इससे ऊपर के स्तर के अधिकारी ए+ लिखते हैं। इसके नीचे यदि कोई सीधी भर्ती वाला आईएएस अधिकारी एडीशनल सेक्रेटरी है तो वह यह लिख सकता है। इससे नीचे काम की प्राथमिकता कोई तय नहीं कर सकता।

‘ए+’का मतलब... जिनका निपटारा 24 घंटे से 5 दिन में करना जरूरी है...

  • ए+ : 24 घंटे से 5 दिन के भीतर निपटारा। किसी भी नोटशीट या फाइल पर यह लिखा हो तो विभाग से लेकर सारे अफसरों को इसे समय सीमा में पूरा करना होता है। सीएम ऑफिस इसकी मॉनिटरिंग करता है। यदि काम रुका है, तो इसका ठोस कारण होना जरूरी है।
  • ए : 15 दिन में यह काम होना चाहिए। सीएम ऑफिस से इसकी मॉनिटरिंग कमोबेश नहीं होती। यह विभागों को भेज दिए जाते हैं। फिर विभाग के भरोसे काम होता है।
  • बी : इसमें विधायक, सांसद और मंत्रियों की सिफारिशें होती हैं। ये बड़े पैमाने पर आती हैं। इसलिए मॉनिटरिंग नहीं।
  • सी : आम जनता की शिकायतें होती हैं। यह काम होगा या नहीं, समस्या दूर होगी या नहीं, इसकी समयसीमा नहीं।


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