शहर के 21 वर्षीय युवा वैज्ञानिक ओम त्रिवेदी को कैलिफोर्निया में बन रही विश्व की सबसे बड़ी वेधशाला कॉस्मिक एक्सप्लोरर में काम करने के लिए चुना गया है। विश्व के 300 श्रेष्ठ वैज्ञानिकों के समूह में इंदौर से चयनित ओम सबसे युवा हैं। उनका चयन बहु ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र में किए गए शोध कार्य के आधार पर हुआ है। यह वेधशाला गुरुत्वीय तरंगों का विश्लेषण करेगी। इसमें ब्रह्मांड की उत्पत्ति और अंत के रहस्य या जटिलताओं को समझने में आसानी होगी।
ओम बताते हैं कि लॉकडाउन का सदुपयोग मैंने रिसर्च पेपर लिखने में किया। 2 साल में 10 पेपर लिखे। मेरा चयन उसी आधार पर हुआ। ओम फिलहाल अहमदाबाद में इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्पेस एंड कॉस्मोलॉजी में रिसर्च कर रहे हैं।
समझेंगे कैसे ब्लैक होल निगलता है तारे
ओम बताते हैं
कि वेधशाला लीगो ने गुरुत्वीय तरंगों को ढूंढ़ा है। लेकिन वह भी अभी तक
मात्र तीन तरंगें ही खोज पाई है। वैज्ञानिकों को विश्वास है कि कॉस्मिक
एक्सप्लोरर के काम करने पर ब्रह्मांड के रहस्य को समझने में सुविधा होगी।
ब्लैक होल द्वारा तारे निगलने की घटना को भी समझेंगे।
ऐसी होगी कॉस्मिक एक्सप्लोरर वेधशाला
अंग्रेजी के
कैपिटल L के आकार में बन रही यह वेधशाला दुनिया की सबसे बड़ी वेधशाला होगी।
इसमें बड़ी भुजा 30 किमी लंबी और छोटी भुजा 20 किमी में फैली होगी। तकरीबन
26 हजार करोड़ रुपए इसके निर्माण का बजट है।
बचपन से ही विज्ञान में रूचि, जीत चुके पुरस्कार
शिक्षाविद्
डॉ. शिखा त्रिवेदी बताती हैं उनके बेटे ओम की रूचि बचपन से ही विज्ञान में
रही है। 17 वर्ष की उम्र ही उसने पहला शोधपत्र राष्ट्रीय सेमिनार में
प्रस्तुत किया। 18 का हुआ तो लंदन इंटरनेशनल यूथ साइंस फोरम में भारत का
प्रतिनिधित्व किया। इसी वर्ष वर्जीनिया में हुए नेशनल साइंस कैम्प में
संबोधित कर चुका है। जिम्बाब्वे में अफ्रीका के सबसे बड़े विज्ञान महोत्सव
में भी युवाओं को विज्ञान की बारीकियां समझाने बुलाया गया था।
जहां नील आर्मस्ट्राँग ने बताया चांद पर जाना है, वहां भी संबोधित कर चुके ओम
इंदौर के युवा वैज्ञानिक ओम त्रिवेदी भारत के ऐसे पहले स्नातक छात्र हैं, जिन्हें वर्जीनिया में नेशनल साइंस कैंप में विशेष वक्ता के रूप में आमंत्रित किया जा चुका है। वर्जीनिया स्थित नेशनल साइंस कैंप वही मंच है, जहां चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग ने 1964 में अ
पना वक्तव्य दिया था। उन्होंने पहली बार चांद पर जाने वाले अपोलो मिशन के बारे में बताया था।
इस कैंप में अमेरिका के 100 और लैटिन अमेरिकी देशों के 26 बच्चे शामिल हुए। ओम ने इन छात्रों को अपने करियर और शोध कार्य के बारे में 7 जुलाई को वर्चुअल संबोधित किया। साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नवीन शोध कार्य के बारे में भी बताया। इस आयोजन में दुनिया भर के विभिन्न विषय विशेषज्ञ और विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले विशिष्ट प्राध्यापकों को भी आमंत्रित किया जाता है। शहर के लिए यह गर्व की बात इसलिए है कि 21 वर्षीय ओम सुनील त्रिवेदी इस साल इस आयोजन के सबसे युवा वक्ता थे।