जशपुरनगर। कलेक्टर रोहित व्यास के मार्गदर्शन में राजा देवशरण जिला चिकित्सालय में दिव्यांग कुष्ठ रोगियों के लिए 23, 24 एवं 25 अप्रैल 2025 को शल्यक्रिया शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें जिले के 11 दिव्यांग कुष्ठ मरीजों का सफल ऑपरेशन किया गया। यह सर्जरी रायपुर या मेडिकल कॉलेज स्तर पर ही आयोजित किया जाता है। लेकिन जिला जशपुर राजधानी रायपुर से काफी दूर है यहां के लोगों को रायपुर जाकर ऑपरेशन कराने में असुविधा होती है। इसलिए क्षेत्रीय आवश्यकता को देखते हुए शिविर का आयोजन जिले में किया जा रहा है।
इस शिविर में संभावित आरसीएस योग्य 14 मरीजों का पंजीयन किया गया। जिसमें से 11 मरीज ऑपरेशन योग्य पाये गये। जिनका सफल आरसीएस ऑपरेशन किया गया। इस तरह जिले के समस्त आरसीएस योग्य मरीजों का ऑपरेशन हो गया है। हितग्राही जिनका ऑपरेशन किया गया उनमें किशोर कुमार, दुःखदेव राम, जशवन्त, दीपक राम, सुख सागर, बंशी राम, भगतराम, जुलारेन, चमेली, किरण यादव तथा शिलवती है।
चिकित्सा एवं स्टाफ का ऑपरेशन में रहा महत्वपूर्ण योगदान :
शल्यक्रिया शिविर में डॉ.के.काम्बले सर्जन आरएलटीआरआई रायपुर के मार्गदर्शन में डॉ. राहुल मिश्रा, अस्थि रोग विशेषज्ञ, डॉ. आकाश कुजूर निश्चेतना विशेषज्ञ, डॉ. मिथलेस देवांगन मेडिकल ऑफिसर, अनुग्रह किसपोट्टा फिजियोथेरेपिस्ट, संगीता एक्का स्टॉफ नर्स, आइलिन रोश स्टाफ नर्स, समीर एक्का स्टॉफ नर्स उषा बेला स्टाफनर्स, कंचन कुजूर ओ.टी. टेक्नीशियन, विजय साय वार्ड बॉय ने अपना विशेष योगदान दिया।
विकृति दवाई से ठीक नहीं होती इसके लिए ऑपरेशन जरूरी :
डॉ.जी एस. जात्रा मुख्य चिकित्सा एवं स्वा.अधिकारी द्वारा बताया गया कि एक दाग विकलांगता को जन्म देता है। कुष्ठ रोग से बचने के लिए समय पर दवाखाना बेहद जरूरी है। कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति यदि विलंब से उपचार शुरू या पूर्णतः उपचार नहीं लेता है ऐसी स्थिति में हाथ, आंख, पैर में विकृति वाले अंगों को सामान्य अवस्था में लाने के लिए विकृति सुधार शल्य क्रिया शिविर का आयोजन कर उपचार किया जाता है।
शासन द्वारा हितग्राहियों को दी जाती है क्षतिपूर्ति राशि :
डॉ. आर.एस. पैंकरा नोडल अधिकारी द्वारा जानकारी दिया गया कि ऑपरेशन उपरांत मरीज को उचित निगरानी के लिए अस्पताल में एक सप्ताह तक रखा जाता है इसकी क्षति पूर्ति हेतु छत्तीसगढ़ शासन द्वारा ऐसे विकृति सुधार शिविर के हितग्राही को भरण-पोषण की राशि 12000 रूपये प्रति व्यक्ति को किश्तों में प्रदाय किया जाता है।
कुष्ठ रोग एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक नहीं फैलता। यह किसी पाप का फल नहीं है। यदि मरीज पूर्ण उपचार लेता है तो पूर्ण रूप से उपचारित (कुष्ठ मुक्त) हो जाता है। कुष्ठ की बीमारी में प्रारंभिक तौर पर मरीज को कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन उपचार नहीं लेने से या अपूर्ण या देरी से उपचार कराने से मरीज के आंख, हाथ, पैर में विकृति आ सकती है।
कुष्ठ रोग के लक्षण :
चमड़ी पर तेलिया-तामिया चमक हों, चमड़ी पर दाग, चकत्ते जिसमें सुन्न्पन हो, तंत्रिकाओं में मोटापन-सूजन हो, दबाने से दर्द होता हो, हाथ पैरों में झुनझुनी व सुन्नपन हो, चमड़ी पर, खासकर चेहरे पर भौंहों के उपर, ठुड़ी पर या कानों में गठानें, सूजन या मोटापन हो, हाथ पैर में बार-बार फफोले आते हों, पैरों में घाव हो और भर नहीं रहा हो तो ये सभी कुष्ठ रोग के लक्षण होते हैं।
सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में कुष्ठ रोग का मुफ्त बहु औषधि उपचार निःषुल्क उपलब्ध है। इस बीमारी के साथ जुड़ी भय एवं भ्रांति को दूर करने एवं संभावित व्यक्ति शीघ्र उपचार एवं निदान स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त करें, पीड़ित होने पर सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में प्राप्त होने वाली मुफ्त बहु औषधि उपचार प्राप्त करें।