रतलाम से गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई 8 लेन एक्सप्रेस-वे से करीब 2.5 किलोमीटर सटकर बनने वाले स्पेशल इंवेस्टमेंट एरिया (विशेष निवेश क्षेत्र) का आदिवासी समाज के लोग विरोध कर रहे हैं। प्रशासन का दावा है कि इंवेस्टमेंट एरिया 1466 हेक्टेयर सरकारी जमीन पर बनाया जाना है। किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं ली जाएगी। प्रशासन बाकायदा चौपालें लगाकर ये बात विरोध करने वालों को बता चुके हैं।
प्रशासन के वादे के बाद भी आदिवासियों के विरोध की वजह क्या है, दैनिक भास्कर ने ग्राउंड पर जाकर पड़ताल की। पढ़िए, ये रिपोर्ट...
जिले के 5 गांवों में बनना है इंवेस्टमेंट एरिया...
रतलाम
जिले के बिबड़ोद, पलसोड़ी, जामथुन, सरवनी और रामपुरिया गांव की राजस्व
सीमा में आने वाली सरकारी जमीन पर इंवेस्टमेंट एरिया बनाया जाना है। सबसे
ज्यादा बिबड़ोद और पलसोड़ी गांव की जमीन राजस्व सीमा में आती है। यहां के
ग्रामीणों के बीच जाकर जब निवेश क्षेत्र के विरोध की वजह पूछी गई, तो
आदिवासी किसान गलिया कटारा, कालू कटारा, अमर सिंह गरवाल ने बताया, हम सालों
से इस जमीन पर खेती कर परिवार पाल रहे हैं। हम जमीन नहीं छोड़ना चाहते।
रोजगार मिलने के सवाल पर किसानों का कहना है कि हम पढ़े-लिखे नहीं हैं। खेती
और पशुपालन ही जानते हैं। यहां निवेश क्षेत्र बन जाएगा तो जानवरों को कहां
चराएंगे।