केरल सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने मंगलवार (7 मई) को राज्य में वेस्ट नाइल फीवर को लेकर अलर्ट जारी किया है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के कोझिकोड, त्रिशूर और मलप्पुरम में छह मामले सामने आए हैं। वहीं, त्रिशूर में इस फीवर से 79 साल के बुजुर्ग की मौत की खबर है।
US के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है। फीवर के साथ उल्टी, दस्त और सिरदर्द की शिकायत होती है।
वेस्ट नाइल फीवर के 10 में से 6 मामले में लक्षण नहीं दिखते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों का कोई ऑफिशियल डाटा शेयर नहीं किया है। हालांकि, सभी जिलों के प्री-मानसून क्लीनिंग ड्राइव के साथ निगरानी के निर्देश दिए हैं।
सभी जिलों में नियमित सफाई के निर्देश: स्वास्थ्य मंत्री
राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा है कि सभी जिलों और लोकल बॉडीज को नियमित सफाई करने और मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए जरूरी उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा साल 2011 में भी राज्य के कई जिलों में वेस्ट नाइल फीवर के केस देखने को मिले थे। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यदि किसी को बुखार या अन्य लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कोझिकोड जिला कलेक्टर स्नेहिल कुमार सिंह ने मंगलवार को बताया कि जिले में अब तक पांच मामले दर्ज किए गए हैं। जिनमें से चार मरीज ठीक हो चुके हैं जबकि एक मरीज का इलाज चल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि वेस्ट नाइल फीवर डेंगू जैसा हैं और इससे पहले भी इस तरह के मामले देखे गए हैं। कोई भी हॉट स्पॉट न मिलने से स्थिति कंट्रोल में है।
इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता वेस्ट नाइल फीवर
वेस्ट नाइल फीवर आमतौर पर पक्षियों में फैलने वाली बीमारी है। इन पक्षियों से यह बीमारी मच्छरों तक फैलती है, इन्हीं मच्छरों के काटने से यह बीमारी इंसानों तक पहुंचती है। हालांकि वेस्ट नाइल फीवर का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलना बहुत रेयर है।
US के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक वेस्ट नाइल फीवर से पीड़ित 10 में से 8 लोगों में कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिलता है। जबकि अन्य लोगों में फीवर, उल्टी, दस्त और सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना, याददाश्त का कमजोर होना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
वेस्ट नाइल फीवर से मौत का भी खतरा
कुछ मामलों में वेस्ट नाइल फीवर से एन्सेफलाइटिस यानी मस्तिष्क में सूजन और मेनिनजाइटिस यानी रीढ़ की हड्डी में सूजन जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखने को मिल सकती हैं, जो मौत तक का कारण बन सकती हैं।
वेस्ट नाइल फीवर पहली बार 1937 में युगांडा में क्यूलेक्स जीनस प्रजाति के मच्छर के काटने से फैला था। 2019 में इस बीमारी से मलप्पुरम के एक छह वर्षीय लड़के की मौत हो गई थी। वहीं, 2022 में त्रिशूर जिले के एक 47 वर्षीय व्यक्ति की वेस्ट नाइल फीवर से मौत हुई थी।