रेप केस के आरोपी भोपाल के डिप्टी कलेक्टर राजेश सोरते को इंदौर हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है, लेकिन वे ऑफिस कब लौटेंगे? यह जवाब कलेक्टोरेट के किसी भी अफसर के पास नहीं है। 30 नवंबर तक छुट्टी पर थे। इसके लिए आवेदन भी दिया था, लेकिन इसके बाद 10 दिसंबर तक वे बिना आवेदन के ही छुट्टी पर रहे हैं। न कलेक्टर के पास आवेदन पहुंचा और न ही शाखा प्रभारी के पास।
शाखा प्रभारी और जॉइंट कलेक्टर इकबाल मोहम्मद ने बताया-
डिप्टी कलेक्टर सोरते का छुट्टी का आवेदन 30 नवंबर तक था। इसके बाद का आवेदन शाखा को प्राप्त नहीं हुआ है।
14 नवंबर को पचोर थाने में दर्ज हुआ था केस डिप्टी कलेक्टर सोरते के विरुद्ध राजगढ़ जिले के पचोर थाने में 14 नवंबर को रेप के आरोप में केस दर्ज हो चुका है। एक महिला ने 25 अक्टूबर को सोरते के विरुद्ध शिकायत की थी। पुलिस ने मामला जांच में लिया था। 19 दिन बाद भी केस दर्ज नहीं होने पर 14 नवंबर को पीड़ित ने पोर्टल पर ई-एफआईआर दर्ज कराई थी। केस दर्ज होने के बाद से ही डिप्टी कलेक्टर ऑफिस नहीं आ रहे थे। 30 नवंबर के बाद छुट्टी का उनका आवेदन भी नहीं मिला। दूसरी ओर, उनका चैंबर रोज खुलता है, पर कुर्सी खाली ही रहती है।
सारंगपुर में खारिज हो गई थी याचिका सारंगपुर न्यायालय में डिप्टी कलेक्टर सोरते की ओर से अग्रिम जमानत याचिका दायर की गई थी। यह न्यायालय ने खारिज कर दी थी। मामले की जानकारी लगने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्र जारी किए थे। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। यहां से 10 दिसंबर को अग्रिम जमानत दे दी गई थी।
केस दर्ज हो चुका, इसलिए जानकारी नहीं दी अफसरों की मानें तो सोरते के विरुद्ध केस दर्ज होने की जानकारी उन्हें मीडिया के माध्यम से ही लगी है। पुलिस की ओर से आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं मिली है। हालांकि, केस दर्ज होने के बाद से ही सोरते के प्रभार अन्य अधिकारियों को सौंपे गए हैं, ताकि काम प्रभावित न हो। जनसुनवाई समेत अन्य कार्य सोरते के जिम्मे ही थे।
निलंबन के लिए दिग्विजय लिख चुके लेटर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस मामले में दो पत्र जारी कर गिरफ्तारी और निलंबन की मांग भी कर चुके हैं। उन्होंने एक पत्र अपर मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन और दूसरा पत्र राजगढ़ एसपी को लिखा है। इसमें उन्होंने डिप्टी कलेक्टर पर सिविल सेवा आचरण अधिनियम का उलंघन करने को लेकर विभागीय जांच कराते हुए निलंबन की मांग की थी।
वहीं, सिंह ने दूसरा पत्र राजगढ़ पुलिस अधीक्षक के नाम लिखा है। इसमें पीड़िता के बयान के अनुसार धाराएं नहीं लगाए जाने की शिकायत करते हुए नियमानुसार धाराएं बढ़ाने की मांग की थी।