कॉन्फ्रेंस में खनिज ब्लॉकों की नीलामी तथा राज्य में उपलब्ध हाई वेल्यू मिनरल के अन्वेषण के संबंध में रणनीति पर विचार किया गया। इस महत्वपूर्ण आयोजन में देश के विभिन्न भागों से आए निवेशकों को छत्तीसगढ़ में खनन क्षेत्र में निवेश करने का आग्रह किया गया और यह आश्वस्त किया गया कि उन्हें छत्तीसगढ़ में आधारभूत संरचना सहित आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जायेंगी। स्टेक होल्डर्स कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ खनिज संसाधन विभाग एवं संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म के निदेशक जे.पी. मौर्य ने किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण राज्य है जहां पर प्रचुर मात्रा में खनिज संसाधन हैं। देश की अर्थव्यवस्था में हमारे प्रदेश का प्रमुख योगदान है। उन्होंने बताया कि सतत विकास की अवधारणा को फलीभूत किया जाना इस बात पर निर्भर करता है कि हम खनिज संसाधनों का उपयोग इस प्रकार से करें कि उनका दोहन उपयुक्त तरीके से हो। हमारा आयात न्यूनतम हो तथा निर्यात की पर्याप्त संभावना हो। साथ ही खनन प्रक्रिया पर्यावरण अनुकूलता तथा खनिज संरक्षण को ध्यान में रखकर किया जाए।
श्री मौर्य ने कहा कि खनिज की मांग के लिए भविष्य में औद्योगिक उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए ग्रीन टेक्नालॉजी की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ राज्य, विजन 2047 में अग्रणी राज्य की भूमिका निभाने के लिए तैयार है जिसमें प्रमुख क्षेत्रों में खनिज क्षमता को विकसित करने की दशा में हम बढ़ रहे हैं। हाई वेल्यू मिनरल जैसे लीथियम, टीन, गोल्ड, कॉपर, निकल एवं हीरा को आधुनिकतम तकनीकी का उपयोग करते हुए उसकी उपलब्धता एवं मात्रा के आंकलन का कार्य किया जाना ही हमारी प्राथमिकता है। मौर्य ने बताया कि छत्तीसगढ़ में देश में पहली बार खनिजों के अन्वेषण हेतु 6 निजी ऐजेन्सियों को अधिमान्यता देकर खनिजों के ब्लॉक आबंटित किए गये हैं। पूर्व में छत्तीसगढ़ राज्य में विभिन्न शासकीय एजेन्सियों द्वारा किए गए अन्वेषण के आधार पर 100 से अधिक संभावित खनिज ब्लॉक चिन्हित किए गए हैं, जिनका आकलन नीलामी के मापदण्डों के अनुसार तीव्र गति से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक हम विभिन्न खनिजों जैसे गोल्ड, आयरन ओर, चूनापत्थर एवं बॉक्साइट के 40 खनिज ब्लॉकों की टेण्डर आमंत्रण सूचना जारी कर चुके है एवं 15 ब्लॉक का सफलतापूर्वक नीलामी कर चुके है।
खनिज विभाग के संयुक्त संचालक अनुराग दीवान ने बताया कि अधोसंरचना में लाइम स्टोन, लोहा तथा ऊर्जा उत्पादन में कोयला एवं उर्जा के प्रवाह में कॉपर एल्यूमिनियम का प्रयोग होता है। उन्होंने विभागीय क्रियाकलापों में दक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई खनिज आॅनलाईन योजना, ई-ट्राजिस्ट पास व्यवस्था, खनिज संसाधनों की उपलब्धता, जिलों में डीएमएफ द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी। इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक अमरनाथ प्रसाद, जिओलॉजिकल सर्वे आॅफ इंडिया के उप संचालक पार्थो दत्ता, वित्त विभाग की विशेष सचिव सुश्री शीतल शाश्वत वर्मा, खनिज विभाग के उप संचालक सर्वश्री महिलपाल सिंह, यू.के. कुरेशी, हरिश ध्रुव, संजय खरे, सुश्री अंजू सिंग, सुश्री सीमा चौबे, उप संचालक सुश्री प्राची अवस्थी तथा सार्वजनिक उपक्रम सहित निजी खनन कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।